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वैश्विक उथल-पुथल के बीच आशा की किरण बन रहा भारत : आशीषकुमार चौहान

भारत का पूँजी बाजार अपने शीर्ष से 1.5 खरब डॉलर नीचे आ चुका है है, मगर लंबी अवधि में विकास का पथ (ट्राजेक्टरी) मजबूत बना हुआ है। 2014 में भारत का बाजार पूँजीकरण 1 खरब डॉलर से कम था, मगर आज ये लगभग 5 खरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह विचार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एमडी एवं सीईओ आशीष चौहान ने इंडिया ग्लोबल फोरम, मुंबई एनएक्सटी25 में साझा किए।

वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, निवेशकों की सोच और भविष्य की संभावनाओं के बीच भारतीय बाजार के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि भारत का पूँजी बाजार उच्चतम स्तर से 1.5 खरब डॉलर नीचे आने के बावजूद लंंबी अवधि में देश का विकास पथ मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा, "2014 में भारत का बाजार पूँजीकरण 1 खरब डॉलर से कम था, और आज यह लगभग 5 खरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह बताता है कि देश में बड़ी मात्रा में संपत्ति का निर्माण हुआ है।"

विदेशी निवेशकों के बाहर निकलने पर उन्होंने कहा कि ये ट्रेंड वैश्विक ब्याज दरों में बदलाव और उभरते बाजार में 'जोखिम से बचने' की भावना की वजह से देखा जा रहा है। लेकिन भारत की निर्यात संरचना कुछ ऐसी है, जिसकी वजह से यह वैश्विक टैरिफ तनावों से काफी हद तक सुरक्षित है।

उन्होंने बताया कि भारतीय बाजार की मजबूती का एक बड़ा कारण घरेलू खुदरा निवेशक हैं। 6 करोड़ से ज्यादा भारतीय हर महीने सिर्फ 250 रुपए जैसी छोटी राशि से व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) से निवेश करते हैं। इससे हर महीने बाजार में करीब 2.5-3 अरब अमेरिकी डॉलर की स्थायी आमदनी होती है। यह दिखाता है कि भारतीय अब देश के कारोबार और उद्यमिता पर भरोसा करने लगे हैं।

वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इनक्लूजन) पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि छोटे निवेशों से भी बाजार का आकर बढ़ रहा है। बाजार में उतार-चढ़ाव के समय भी हो रहे ये  प्रत्यक्ष निवेश निवेशकों की परिपक्व सोच के बारे में बताते हैं।

आईपीओ को लेकर उन्होंने बताया कि आईपीओ में स्थिति मजबूत बनी हुई है, केवल मार्च के अंत तक 50 से ज्यादा कंपनियों ने आईपीओ फाइल किये, और 2024 में एनएसई ने कुल 268 आईपीओ की मेजबानी की, जिनसे 19.6 अरब डॉलर जुटाये गये, जो दुनिया में अब तक का सबसे अधिक आईपीओ फंड रहा। इनमें से 178 आईपीओ छोटे और मध्यम उद्योगों (एसएमई) से जुड़े थे। कुल मिलाकर एनएसई के जरिए 209 अरब डॉलर से ज्यादा की पूँजी जुटायी गयी।

हाल के ऑपरेशन संबंधी बदलावों पर बोलते हुए, उन्होंने डेरिवेटिव एक्सपायरी में बदलाव को स्पष्ट किया और बताया कि डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी तिथि को गुरुवार से सोमवार करना एक नियमित प्रक्रिया है और हम आगे के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद ही कोई और बदलाव किया जाएगा। अपने संबोधन का संतुलित निष्कर्ष देते हुए, उन्होंने कहा, “भारत वैश्विक अस्थिरता के बीच सोच-समझकर आगे बढ़ रहा है। हमारे फंडामेंटल्स अच्छी स्थिति में हैं, और हमारे रेगुलेटर्स तथा सरकार एक स्थिर नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं।”

(शेयर मंथन, 11 अप्रैल 2025)

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