कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना हैं और कीमतों को 4,480 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 4,390 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है डॉलर के कमजोर होने के कारण आज तेल की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है जबकि निवेशकों की नजर बढ़ती आपूर्ति और कोविड-19 के कारण ईंधन की माँग में कमी पर है।
पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों, रूस सहित, ओपेक प्लस द्वारा मई और जुलाई के बीच धीरे-धीरे मिलियन बैरल प्रति दिन आपूर्ति बढ़ाने के निर्णय के बाद इस सप्ताह दोनों कॉन्ट्रैक्ट की कीमतों में 2%-3% की गिरावट हुई हैं। लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद है कि वैश्विक स्तर पर तेल भंडारों में गिरावट जारी रहेगी, क्योंकि इस साल की दूसरी छमाही में ईंधन की माँग में तेजी आ सकती है क्योंकि वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार हो रहा है। लेकिन चिंता यह है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए दुनिया के कुछ हिस्सों में नये सिरे से तालाबंदी की जा रही है और टीकाकरण की समस्याओं के कारण तेल की माँग में बदलाव आ सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वैश्विक आर्थिक विकास के लिए अपना आउटलुक बढ़ाया है और कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्राथमिक रूप से कोविड-19 से लड़न के लिए अभूतपूर्व सार्वजनिक व्यय के कारण दुनिया भर में उत्पादन का अनुमान इस साल 6% रहने का अनुमान है।
नेचुरल गैसे की कीमतों के 180-190 के दायरे में कारोबार करने की संभावना है और जहाँ सहारा पर खरीदारी और बाधा पर बिकवाली की जा सकती है। राष्ट्रीय महासागरीय वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार, अगले 6-10 और 8-14 दिनों के लिए अधिकांश मध्य पश्चिम में मौसम के सामान्य से अधिक ठंडा रहने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 09 अप्रैल 2021)