मजबूत अमेरिकी आर्थिक आँकड़ों के बाद ईरान की ओर से आपूर्ति की किसी भी बढ़ोतरी को लेकर निवेशकों की चिंता कम होने के कारण तेल की कीमतों में 4% से अधिक की वृद्धि हुई।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था, जिसने पहली तिमाही में 2003 की तीसरी तिमाही के बाद से अपनी दूसरी सबसे तेज विकास गति दर्ज की, गति पकड़ रही है, और अन्य आँकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में उपकरणों पर व्यावसायिक खर्च में तेजी आयी है। ईरान की ओर से आपूर्ति बाजार में फिर से शुरू होने की संभावना से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। ईरान और वैश्विक शक्तियाँ अप्रैल से बातचीत कर रही हैं कि वाशिंगटन ईरान पर से, ऊर्जा क्षेत्र सहित, अपने प्रतिबंध हटा ले और बदले में ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्य पर प्रतिबंधें का अनुपालन किया जायेगा। ओपेक प्लस की 1 जून की बैठक में यह वार्ता का एक प्रमुख मुद्दा होगा। ओपेक के सूत्रों ने कहा कि समूह के एक बैठक में तेल आपूर्ति प्रतिबंधें में धीरे-धीरे ढील जारी रखने की संभावना है, क्योंकि उत्पादकों ने ईरानी आपूर्ति में संभावित वृद्धि के मुकाबले माँग में बढ़ोतरी की उम्मीदों जतायी है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता भारत में भी माँग को लेकर चिंता बनी हुई है। भारत कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, और इसकी लगभग 3% आबादी को ही पूरी तरह से टीका लगाया गया है। तकनीकी मोर्चे पर, एमसीएक्स पर तेल की कीमतें 4,950 रुपये के रुकावट स्तर के पास कारोबार कर रही हैं, और इस स्तर को पार करने कीमतें 5,200 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है, और यदि कीमतें इस स्तर से ऊपर बने रखने में विफल रही तो हम फिर से बिकवाली देख सकते हैं और कीमतें 4,680 रुपये के सहारा पर वापस आ सकती हैं।
नेचुरल गैस कीमतों में बढ़ोतरी हुई है लेकिन कीमतें 220 रुपये के रुकावट स्तर को पार करने और उसके ऊपर बरकरार रहने में सफल नहीं हो पा रही है। घरों और व्यवसायों को ठंडा करने के लिए नेचुरल गैस की माँग में बढ़ोतरी होने की संभावना है क्योंकि अगले सप्ताह मध्य पश्चिम और पूर्व में अधिक गर्मी की संभावना है। नेचुरल गैस की कीमतें 200-230 रुपये के सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 31 मई 2021)