कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना हैं लेकिन उच्च स्तर पर बिकवाली से इंकार नहीं किया जा सकता है। कीमतों को 5,550 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 5,480 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान ने परमाणु समझौते के नवीनीकरण को लेकर विवाद बने रहने से ईरानी तेल निर्यात में वृद्धि में देरी के कारण आज तेल की कीमतें आखिरी बार अक्टूबर 2018 में के उच्च स्तर पर पहुँच गयी। जबकि निवेशकों की नजर इस सप्ताह ओपेक प्लस की बैठक के परिणाम पर है। तेल की कीमतों में पिछले सप्ताह लगातार पाँचवें सप्ताह में वृद्धि हुई क्योंकि उत्तरी गोलार्ध में मजबूत आर्थिक विकास और गर्मियों के दौरान बढ़ी हुई यात्रा के कारण ईंधन की माँग में वृद्धि हुई, जबकि वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति में सुस्ती बनी हुई है क्योंकि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उनके सहयोगियों ने उत्पादन में कटौती को बरकरार रखा है। माँग में जोरदार वापसी अब समूह के सदस्यों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, जो 1 जुलाई को एक और बढ़ोतरी का आकलन करने के लिए बैठक करेंगें। आने वाले दिनों में ईरान के परमाणु समझौते के पुनरुद्धार पर बातचीत पिफर से शुरू होने की उम्मीद है। तेहरान और संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के बीच एक निगरानी समझौता पिछले सप्ताह हो गया।
नेचुरल गैस की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना है और कीमतों को 258 रुपये के स्तर पर सहारा और 265 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकता है। (शेयर मंथन, 28 जून 2021)