कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना हैं और कीमतों को 5,470 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 5,400 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के एक बड़े दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,070 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 2,940 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी रह सकती है। कीमतों को 5,640 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 5,540 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी रह सकती है। कीमतों को 5,870 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 5,780 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में नरमी रह सकती है। कीमतों को 5,860 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 5,740 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी बरकरार रहने की संभावना है।
20 दिनों के अंतराल के बाद सोमवार को पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गयी है।
कच्चे तेल की कीमतें 3,680-3,760 रुपये के दायरें कारोबार कर सकती है। पिछले हफ्ते अमेरिकी कच्चे तेल भंडार में गिरावट हुई है, जबकि गैसोलीन और डिस्टीलेट के भंडार में बढ़ोतरी हुई।
वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में देश के कच्चे तेल उत्पादन में 4% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गयी है।
सरकारी तेल-गैस कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (Hindustan Petroleum) के शेयर में आज 8% से ज्यादा की उछाल आयी है।
क्रूड ऑयल का ढाँचा मेरे हिसाब से नकारात्मक है। इसलिये इसका 82 डॉलर का स्तर टूटना चाहिये। अंतरराष्ट्रीय माहौल के हिसाब से देखें या तकनीकी चार्ट के मुताबिक, हर तरफ से भाव नीचे की ओर जाने का इशारा कर रहे हैं।
क्रूड ऑयल की लंबे समय की चाल सुस्ती की है। सब तरफ ये कहा जा रहा है कि क्रूड में गिरावट मंदी का इशारा है, मगर मुझे ऐसा नहीं लगता है। रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात के बाद क्रूड के भाव में जो तेजी आयी थी, वो अब धीरे-धीरे स्थिर होने लगी है।
कच्चे तेल में अभी मुनाफा वसूली चल रही है। यह देखना होगा कि इसमें कहाँ जाकर ठहराव आता है। ब्रेंट क्रूड की ट्रेडिंग में कुछ बेहद अहम स्तर हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
क्रूड ऑयल में क्या स्थिति है? क्या ये ऊपर की रहा पकड़ेगा या इसमें और गिरावट आयेगी? कच्चे तेल की चाल के बारे में क्या कहते हैं बाजार के जानकार?
कच्चे तेल के भाव में नरमी आने लगी है और अभी इसके भाव और गिरेंगे। मगर इसका फायदा पेंट इंडस्ट्री को कितना मिलेगा, मिलेगा भी या नहीं, ये कहना जरा मुश्किल है।
कच्चा तेल पिछले कुछ समय से जिस रफ्तार से चल है, क्या आने वाले समय में उसकी चाल बनी रहेगी या बाजार में सुधार आयेगा?
इस्रायल की सेना अब गाजा पट्टी के अंदर घुसने लगी है और इसके चलते बढ़े हुए अंतरराष्ट्रीय तनाव के बीच कच्चे तेल और सोने के अंतरराष्ट्रीय भावों में जबरदस्त उछाल आ गयी है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के रिसर्च हेड पंकज पांडेय का मानना है कि रिजर्व बैंक की हालिया मौद्रिक नीति की समीक्षा थोड़ी ज्यादा सतर्कता वाली है। केंद्रीय बैंक का सारा फोकस डॉलर की चाल और क्रूड के भाव पर है।
कच्चा तेल के भाव अभी और ऊपर जाएँगे या मौजूदा स्तरों के आसपास घूमते रहेंगे। दोनों ही परिस्थितियों में इसका रुपये पर कैस असर आयेगा?
नैस्डैक में काफी गिरावट है, मगर यह चिंताजनक नहीं है। इसका कारण यह है कि फंडामेंटली स्थितियाँ खराब नहीं हैं। अगर ये गिरावट कोरोना की वजह से आ रही है तो अगले कुछ दिनों में स्थिति साफ हो जायेगी और फिर देखना होगा कि बाजार किस तरफ जाता है।
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यह एक संयोग है कि पिछले वर्ष की दीपावली के समय भी भारतीय शेयर बाजार कुछ ठंडा पड़ा था और इस साल भी बाजार में दीपावली के समय लाली ही ज्यादा बिखरी है। लेकिन पिछली दीपावली के समय जो थोड़ी निराशा बाजार में दिख रही थी, उस समय जिन निवेशकों ने सूझ-बूझ से नया निवेश किया, उन्हें अगले 1 साल में बड़ा सुंदर लाभ हुआ।
शेयर बाजार ने हाल में नये रिकॉर्ड स्तरों की ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप सभी तरह के शेयर खूब चले हैं, दौड़े हैं, कुछ तो उड़े भी हैं!