आईसीआईसीआई डायरेक्ट के विश्लेषण के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में इसकी समीक्षा के दायरे में शामिल 200 से ज्यादा कंपनियों (बीएफएसआई, तेल एवं गैस और धातु को छोड़ कर) की आमदनी (रेवेन्यू) में 9% वृद्धि की उम्मीद है।
कमोडिटी कीमतों में फिर से उछाल के साथ ही एफएमसीजी, ऑटो और भवन निर्माण सामग्री क्षेत्र के लिए सकल मार्जिन अपने चरम से अब घट सकते हैं। कमोडिटी कीमतों में तेजी के बावजूद समीक्षाधीन कंपनियों का कुल ऑपरेटिंग मार्जिन वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में 17.7% के मुकाबले 2016-17 की पहली तिमाही में 17.5% के स्तर पर बने रहने की उम्मीद है। इसका कारण यह है कि कंपनियों के पास ऊँचे विज्ञापन एवं प्रचार खर्चों को घटा कर मार्जिन को सँवारने की गुंजाइश थी। यद्यपि इस तिमाही में तेल-गैस, धातु जैसे कमोडिटी केंद्रित क्षेत्रों की गिरावट थमने की उम्मीद है, लेकिन आय (अर्निंग) के पैमाने पर उनका प्रदर्शन ठंडा ही रहने के आसार हैं।
ऑटो और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्रों में पुनरोद्धार के शुरुआती संकेत दिखे हैं। ग्रामीण उपभोक्ता केंद्रित दोपहिया क्षेत्र में मजबूत वृद्धि से ऑटो क्षेत्र की बिक्री की मात्रा में 10% की वृद्धि दर रही है। रक्षात्मक क्षेत्रों को देखें तो आईटी, फार्मा और एफएमसीजी क्षेत्रों में ऊँचा मार्जिन जारी रहने की उम्मीद है। एफएमसीजी कंपनियों के लिए आय वृद्धि की दर बिक्री की मात्रा में वृद्धि से ज्यादा रहने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश कंपनियों ने इस तिमाही में अपने प्रचारात्मक प्रस्तावों (ऑफर) को रोक दिया है। साथ ही पूँजीगत व्यय केंद्रित क्षेत्रों में निविदा और ऑर्डर की गतिविधियों में तेजी आयी है। यद्यपि कार्यान्वयन और आमदनी में वृद्धि के रूप में इसका असर दिखना अभी बाकी है। फँसे कर्जों की वजह से बैंकिंग क्षेत्र का संघर्ष जारी है।
आगे के लिए आईसीआईसीआई डायरेक्ट का आकलन है कि कमोडिटी कीमतों में तेज उछाल से कॉरपोरेट इंडिया का सकल (ग्रॉस) मार्जिन कुछ कम होगा। हालाँकि मजबूत मानसून, ग्रामीण विकास को तेज करने के लिए सरकारी खर्च और सातवें वेतन आयोग के लागू होने से ऊँचे वेतन के कारण ऑटो और उपभोग संबंधी क्षेत्रों की आमदनी को समर्थन मिलेगा। इसके साथ ही बुनियादी ढाँचा और पूँजीगत व्यय संबंधी क्षेत्रों में ऑर्डर और निविदाओं की स्थिति मजबूत होने के परिणामस्वरूप आमदनी में वृद्धि मजबूत रहेगी। बुनियादी ढाँचा, विशेष रूप से सड़क और रेलवे में व्यय ने पूँजीगत वस्तु और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों के लिए बड़ा अवसर प्रस्तुत किया है। इन सबके मद्देनजर आईसीआईसीआई डायरेक्ट को वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान सेंसेक्स प्रति शेयर आय (ईपीएस) 14.9% की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 09 जुलाई 2016)