भारतीय शेयर बाजार अभी बाजार जमने (कंसोलिडेशन) की कोशिश में लगा हुआ है।
मुझे निफ्टी 5750-5780 के ऊपर जाता नहीं दिख रहा है। निफ्टी को 5550 के स्तर पर मजबूत सहारा मिल रहा है। बाजार में जो भी तेजी दिख रही है, वह बाजार में मौजूद नकदी (लिक्विडिटी) की वजह से है। नतीजों का मौसम शुरू हो गया है। अब बाजार को नयी दिशा कंपनियों के नतीजों से ही मिल सकती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के बारे में बात करें, तो मुझे अभी इसमें कोई तेजी आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। इसके पास मौजूद नकदी के कारण शेयर भाव को सहारा मिल रहा है। अभी बाजार में तेजी बड़ी कंपनियों के शेयरों में ही दिख रही है। छोटी और मँझोली कंपनियों के शेयरों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
बुनियादी आधार पर बाजार में सकारात्मक संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार ने आर्थिक सुधार के मोर्चे पर जो कदम उठाये हैं, उनका असर बाजार पर पहले ही आ चुका है। विनिवेश के मोर्चे पर सरकार आगे नहीं बढ़ पा आ रही है। आरआईएनएल (RINL) का आईपीओ (IPO) अधर में अटका हुआ है। अरविंद पृथी, निवेश सलाहकार (Arvind Pruthi, Investment Advisor)
(शेयर मंथन, 16 अक्टूबर 2012)
Add comment