राजेश अग्रवाल
रिसर्च प्रमुख, एयूएम कैपिटल मार्केट
कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट, आईआईपी और पीएमआई के स्थिर आँकड़े, ऋण वृद्धि (क्रेडिट ग्रोथ) में तेजी और क्षमता उपयोग में सुधार भारतीय बाजार के लिए इस समय सबसे अहम सकारात्मक पहलू हैं।
वहीं लोक सभा चुनाव, रुपये की कमजोरी, अमेरिका एवं यूरोप में मौद्रिक सख्ती से वैश्विक नकदी (लिक्विडिटी) में कमी और भूराजनीतिक स्थितियाँ बिगड़ने की आशंकाएँ ऐसे मुख्य पहलू हैं, जिनसे बाजार की चाल खराब हो सकती है। मेरा आकलन है कि सेंसेक्स अगले छह महीनों में 38,000 तक और इस साल के अंत तक 39,800 तक जा सकता है। साल 2019 में निफ्टी का संभावित शिखर 12,500 पर हो सकता है, जबकि संभावित तलहटी 9,800 की हो सकती है।
आम चुनावों, चुनाव पूर्व बजट, व्यापार युद्ध (ट्रेड वार) और कच्चे तेल की कीमतों की वजह से 2019 की पहली छमाही में बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने की संभावना है। दूसरी छमाही में चुनिंदा शेयरों की ओर ध्यान बढ़ता हुआ देखा जायेगा। सरकार और आरबीआई द्वारा विदेशों से उधार लेने के मानदंडों को आसान बनाने के लिए उठाए गए कदमों से रुपये को स्थिर करने में मदद मिलेगी, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने से चालू खाते का घाटा कम होगा, सब्सिडी का भुगतान कम होगा, मुद्रास्फीति का जोखिम घटेगा, जिससे आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनेगी।
इसके साथ 2019 में राजनीति और आर्थिक बाधाएँ शेयर बाजार को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी। वैश्विक स्तर पर, बाजारों की नजरें बॉन्ड यील्ड और भूराजनीतिक तनावों पर बनी रहेंगी। वैश्विक बाजारों के लिए इटली, तुर्की, ब्रेक्सिट और मध्य पूर्व से झटके आ सकते हैं। फेडरल रिजर्व के कदमों पर भी नजरें बनी रहेंगी। इसके अलावा, चीनी सामानों पर अमेरिका द्वारा बढ़े हुए शुल्क आने वाले वर्ष में बाजार के मिजाज पर हावी हो सकते हैं।
हाल में आयी गिरावट के बाद बाजार का मूल्यांकन वाजिब लग रहा है। आय में वृद्धि दिखने और बुनियादी मजबूती के चलते बाजार आकर्षक लग रहा है। निवेश के निर्णयों पर भावनाएँ आसानी से हावी हो जानी हैं। लेकिन अभी इस नियम पर अमल करने का समय है कि निचले भावों पर लिवाली करें और ऊँचे भाव होने पर बिकवाली करें।
भारतीय शेयर बाजार में तेजी जारी रहने की आशा है, लेकिन उतार-चढ़ाव भी आते ही रहेंगे। निवेशकों को अभी अपने फैसलों में सामान्य से अधिक चयनात्मक होने और आय एवं कॉर्पोरेट प्रशासन की गुणवत्ता, मजबूत वित्तीय स्थिति और वृद्धि की संभावनाओं वाली कंपनियों के साथ ही रहने की जरूरत है। कुल मिला कर हम उम्मीद करते हैं कि भारत कई देशों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ेगा और घरेलू बाजार के लिए मजबूती का दीर्घकालिक दृष्टिकोण बना रहेगा। (शेयर मंथन, 01 जनवरी 2019)