उद्योग जगत ने कई सरकारी बैंकों का आपस में विलय करके बड़े सरकारी बैंक बनाये जाने के फैसले का स्वागत किया है।
उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा, "यह एक बड़ी घोषणा है और फिक्की देश में बैंकिंग क्षेत्र को और मजबूत एवं संघनित बनाने के लिए सरकार के इस फैसले का जोरदार स्वागत करता है। पाँच लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुँचने का लक्ष्य रखने वाली अर्थव्यवस्था के लिए हमें एक बहुत मजबूत और स्थिर बैंकिंग क्षेत्र की आवश्यकता है, जो ऋण संबंधी जरूरतों को सक्षमता के साथ पूरा कर सके।"
सोमानी ने आगे कहा, "बैंकों के विलय से कई लाभ जुड़े हुए हैं। अधिक ऋण देने की क्षमता, बेहतर तकनीक का उपयोग, शाखाओं का ज्यादा बड़ा नेटवर्क, ज्यादा बड़ी राष्ट्रीय और वैश्विक उपस्थिति - देश के सरकारी बैंकों को ये सब लाभ मिलेंगे और वे भारत की आर्थिक वृद्धि को तेज करने में और ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने में सक्षम बनेंगे। फिक्की बैंकों के विलय की वकालत पहले से करता रहा है, क्योंकि भारत को कम संख्या में, लेकिन ज्यादा बड़े बैंकों की आवश्यकता है, जो बड़े आकार (इकोनॉमी ऑफ स्केल) का लाभ उठा सकें।"
कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी एवं सीईओ उदय कोटक ने अपने ट्वीट में सरकारी बैंकों के विलय के इस फैसले को एक बहुत विशाल कदम बताया है। कोटक ने कहा है, "बैंकों का विलय अलग अच्छी तरह से सँभाला जाये तो उससे मूल्य सृजन होता है। आईएनजी वैश्य बैंक को कोटक महिंद्रा बैंक में मिलाने का हमारा अनुभव अच्छा रहा है। इनका निर्बाध एकीकरण पूरा करने में हमें दो साल लगे। सरकार ने चतुराई दिखाते हुए एक समान तकनीक रखी है, इसलिए प्रक्रिया तेजी से चलेगी।"
महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपने एक ट्वीट में जीडीपी के ताजा आँकड़ों की खबर को साझा करते हुए कहा, "इसने मेरा शुक्रवार खराब कर दिया और इससे सप्ताहांत उत्साहहीन हो जायेगा। बहुत काम किये जाने की जरूरत है। लेकिन मैं दृढ़ आशावादी बना हुआ हूँ। निर्मला सीतारमण ने बैंकों के विलय की जो घोषणा की है, उससे प्रसन्नता हुई है। हमें 'हर सप्ताह एक सुधार' जैसे टॉनिक की ही जरूरत है।" (शेयर मंथन, 31 अगस्त 2019)
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