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रुपये की कमजोरी फिर बन सकती है शेयर बाजार की चुनौती

राजीव रंजन झा : दीपावली से ठीक पहले 1 नवंबर को अपने राग बाजारी में मैंने बाजार की तेजी के संदर्भ में लिखा था कि "जब तक यह संगीत बज रहा है, तब तक इसका मजा लें।
लेकिन याद रखें कि विक्रम-वेताल के किस्से में जैसे वेताल लौट-लौट कर आता है, उसी तरह ये चिंताएँ भी लौटती रहेंगीं।" पिछले हफ्ते की नरमी के बाद नये हफ्ते की शुरुआत भी कमजोर होती दिख रही है। ऐसे में संभव है कि बहुत सारे विश्लेषक चिंताओं के पहलू फिर से देखने लगें। आज सुबह के कारोबार में बाजार खुलते ही निफ्टी ने 6071 का निचला स्तर छुआ है, हालाँकि व्यावहारिक रूप से यह बाजार खुलने के बाद से 6100 के करीब या इससे जरा ऊपर टिकने की कोशिश करता दिख रहा है। अगर दीपावली के दिन मुहुर्त कारोबार में 3 नवंबर को बने ऊपरी स्तर 6342 से तुलना करें, तो आज सुबह के निचले स्तर पर यह 271 अंक गिर चुका है।
यहाँ गौरतलब है कि आज सुबह के निचले स्तर 6071 पर जाकर निफ्टी ने 29 अक्टूबर 2013 को बनी ताजा तलहटी 6079 को तोड़ा है। लेकिन चार्ट देख कर लगता नहीं कि 6071 के पास निफ्टी जरा भी रुक पाया। इसलिए अभी संदेह का लाभ देना चाहिए। सुबह के कारोबार में कमजोरी के बावजूद निफ्टी 6100 के पास सहारा लेने की कोशिश कर रहा है। अगर यह फिर से नीचे आने लगे और उस समय यह 6070 से नीचे चला जाये तो निश्चित रूप से यह चिंता की बात होगी। वैसी स्थिति में निफ्टी के दैनिक चार्ट पर स्पष्ट रूप से दिखेगा कि ऊपरी तलहटियाँ (हायर बॉटम) बनने का सिलसिला टूटा है।
इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में फिर से कमजोरी आती दिख रही है। आज सुबह के कारोबार में एक डॉलर की कीमत 63.40 रुपये के पास नजर आ रही है, जबकि हाल में यह 61-62 के दायरे में टिकता दिख रहा था। अगर आप जुलाई-अगस्त का समय याद करें तो उस समय भी शेयर बाजार में कमजोरी और डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी साथ-साथ चली थी। क्या एक बार फिर दोनों ने नीचे की राह पकड़ ली है?
भारतीय शेयर बाजार के दो प्रमुख सूचकांकों की अगर तुलना करें तो अभी दिलचस्प पहलू यह है कि जहाँ सेंसेक्स ने अपने लक्ष्यों को छुआ है, जबकि निफ्टी जरा पीछे रह जा रहा है। सबसे पहली बात तो यही कि सेंसेक्स जनवरी 2008 के शिखर 21,207 को पार करने में सफल रहा, जबकि निफ्टी ऐसा नहीं कर पाया और उससे पहले ही दीपावली के दिन 6342 तक जाकर रुक गया।
इससे पहले 30 अक्टूबर को मैंने निफ्टी के लिए लिखा था कि "अगर इस बार यह 6252 को पार करता है, तो 6357 के रिकॉर्ड तक जाना बहुत स्वाभाविक माना जा सकता है।" एक तरह से कहा जा सकता है कि निफ्टी ने उस लक्ष्य को छू लिया, लेकिन फिर भी 15 अंक का एक फासला तो रह ही गया। वहीं सेंसेक्स के लिए मैंने उस दिन आगे 21,300 का पहला लक्ष्य माना था। यह 3 नवंबर को 21,322 तक चढ़ा।
यह भी गौरतलब है कि जहाँ आज सुबह के कारोबार में निफ्टी ने अपनी ताजा तलहटी 6079 को बहुत साफ ढंग से नहीं तोड़ा है, वहीं सेंसेक्स 28 अक्टूबर की ताजा तलहटी 20,771 से ठीक-ठाक नीचे आ चुका है। आज सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 20,482 तक फिसलता दिखा है और शुरुआती घंटे में थोड़ा संभलने के बाद भी अभी 20,600 के नीचे ही चल रहा है। यानी भले ही निफ्टी ने ऊपरी तलहटी बनाने का क्रम साफ तौर पर अभी नहीं तोड़ा, मगर सेंसेक्स ने यह काम कर दिया है। इसलिए सावधान रहें, यही बेहतर है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 11 नवंबर 2013)

Comments 

Indresh Kumar Uniyal
0 # Indresh Kumar Uniyal -0001-11-30 05:21
झा साहब रघुराम राजन साहब ने तेल कम्पनियों के लिये बाज़ार न जाकर सीधे रिज़र्व बैंक मे एक खिड़की खोली थी जहाँ से वह $ सीधे ले सकते हैं. यह $ 70 से भी आगे न जाय इसका टेम्परेरी इलाज़ था. नतीज़तन $ 61-61 तक आ गया, फिर रघु राम राजन साहब ने बयान दे दिया की उनकी पहली प्राथमिकता महंगाई रोकना है. इधर रिजर्व बैंक की खिड़की भी अब थोड़ा बंद होने लगी है, तात्कालिक उपचार या इंजेक्षन का असर खत्म होने लगा है. अब मोदी के नाम के सहारे और विदेशी निवेशकों की भविष्य वाणियों के सहारे ही कब-तक बाज़ार 5400-5600 से उपर रह पाता है देखने वाली बात है.
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