राजीव रंजन झा : क्या बैडमिंटन के खेल और शेयर बाजार में निवेश के तौर-तरीकों के बीच कोई संबंध हो सकता है?
इस बारे में एक ऐसा लेख है, जिसका जिक्र करने से मैं खुद को रोक नहीं पा रहा हूँ। इसमें कैसे लेखक की युवावस्था में उनसे 40-50 साल बड़ी (चार्ट की हर हरकत को अच्छे से मापने वाले विजय उम्र के इस चार्ट को ठीक से नहीं पढ़ सके!) आंटी ने बैडमिंटन के खेल में उन्हें खूब छकाया और बस 15 मिनट में ही थका कर हरा दिया। कसरती, मजबूत दमखम वाले, वजन उठाने, तैराकी और मुक्केबाजी करने वाले उस युवा के लिए इतनी ज्यादा उम्र वाली आंटी से मिली इस हार को सहना मुश्किल था। लेकिन उस हार ने उनको निवेश के मंत्र सिखा दिये!
क्या किया था आंटी ने? वही जो बैडमिंटन के खिलाड़ी आम तौर पर करने की कोशिश करते हैं। खुद बीच में रह कर दूसरे खिलाड़ी को कोर्ट के हर कोने पर भगाते रहना। एक कोने से दूसरे कोने पर भागते वक्त दूसरे खिलाड़ी की कोशिश यही रहती है कि किसी तरह शटल वापस दूसरे पाले में चली जाये। इसके चलते पहले खिलाड़ी को बड़ी आसान शटल मिलती है और उसे ज्यादा भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ती। वह फिर शटल को भेज देता है दूसरे पाले के किसी और कोने की तरफ, दूसरे खिलाड़ी को फिर से छकाने-भगाने के लिए। बैडमिंटन के कुशल खिलाड़ी जवाब दे सकते हैं कि छकाने का जवाब उलट कर छकाना है। आपको दूर कोने में शटल मिले तो आप भी सामने वाले को छकायें। लेकिन उस बहस से अलग रख कर इस खेल से निकले निवेश के जिन मंत्रों को विजय बता रहे हैं, उसे समझा जाये।
पहला मंत्र यह है कि ताकत से ज्यादा दिमाग का इस्तेमाल किया जाये। शटल को जोर से मारने से जीत नहीं मिलती, शटल को कहाँ भेजना है यह सोचने से जीत मिलती है। बाजार की कोशिश होती है हमें कोर्ट के हर कोने पर छकाता रहे। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम कोर्ट के बीच में रह कर अपनी ऊर्जा बचायें। कोर्ट के बीच में रहने का मतलब है बाजार की लंबी अवधि की चाल को समझना। ऐसा कर सके तो शटल वहीं लौटेगी जहाँ आप होंगे।
खेल का एक सबक यह भी है कि खेल पूरा होने तक के लिए आपकी ऊर्जा बची रहनी चाहिए, खेल के बीच में ही कहीं आप थक न जायें। इशारा उधारी वाले वायदा सौदों की ओर है। और फिर, हर शॉट का जवाब देना जरूरी नहीं है। बाजार की हर चाल पर सौदे करना जरूरी नहीं है। सामने वाले की जो शॉट कोर्ट से बाहर जा रही हो, उसे जाने दें! यही बात क्रिकेट में दिखती है। हर गेंद पर बल्ला घुमाना जरूरी नहीं होता ना! Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 19 नवंबर 2013)
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