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एमपीसी मिनट्स : आरबीआई गवर्नर ने ब्याज दरों में कटौती को मौद्रिक नीति पर उचित प्रतिक्रिया बताया

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली ही एमपीसी बैठक में काम करने के तरीके को लोगों को सामने रख दिया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास जहाँ लंबे समय से ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में नहीं थे, वहीं संजय मल्होत्रा ने आने के साथ दरों में कटौती कर अपने इरादे जाहिर कर दिए।

कटौती के पक्ष में डाला वोट

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली एमपीसी में ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में वोट दिया। एमपीसी के मिनट्स से पता चलता है कि वो दरों में कटौती का समर्थन करते हैं। उन्होंने आरबीआई के महँगाई के 4% के लक्ष्य का हवाला देते हुए कहा था कि महँगाई दर लक्ष्य के करीब बढ़ रही है। इसलिए दरों में कटौती का यह सही समय है। 

5 साल बाद घटी ब्याज दर

5-7 फरवरी के बीच आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक हुई। इसी बैठक में आरबीआई ने 5 साल बाद रेपो दर को 0.25% घटा कर 6.25% करना का फैसला लिया था। इससे पहले वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट में आयकर की दरों में बदलाव कर 12 लाख तक की आय कर मुक्त करने का ऐलान किया था। 

क्या बोले आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

बैठक में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वृहद् आर्थिक हालात को देखते हुए ये लगता है कि दरों में कटौती का ये सही समय है। महँगाई दर भी अनुमानित लक्ष्य के करीब है और इसमें आगे भी गिरावट की उम्मीद है। वहीं, खाद्य महँगाई दर में भी गिरावट दिख रही है। इसलिए हमें दूरदर्शी नीति को अपनाने पर विचार करना चाहिए। इससे देश की अर्थव्यवस्था के विकास में मदद मिलेगी और विकास और महँगाई के बीच संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा। जनवरी में महँगाई दर 4.3% पर आ गई थी जो 5 महीनों का निचला स्तर है।

हालाँकि बदले भू-राजनीतिक हालात, इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण दुनिया चुनौतीपूर्ण स्थिति से गुजर रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन इन सब के बावजूद भारत की स्थिति दुनिया के बाकी देशों की तुलना में अच्छी है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था और विकास की रफ्तार को बनाए रखने की जरूरत है। और मौद्रिक नीति को महँगाई और विकास में संतुलन बनाए रखने के लिए सभी उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए।

एमपीसी का नजरिया

केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन ने कहा कि ब्याज दर में 0.25% की कटौती स्थायी पॉलिसी का हिस्सा है। रेपो रेट में ये कटौती अक्टूबर 2024 में आरबीआई के सख्त रुख में बदलाव और दिसंबर 2024 में तरलता बढ़ाने के उपाय करने के बाद हुई है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अक्टूबर 2024 में अपना रुख 'विड्रॉल ऑफ अकोमोडेशन' से 'न्यूट्रल' कर दिया था। इसी के बाद तरलता में सुधार के लिए दिसंबर 2024 में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की गई थी। दरों में तर्कसंगत कटौती से आरबीआई को महँगाई आगे घटने का पूरा भरोसा है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि केंद्रीय बैंक से इस फैसले से सरकार को बजट में किये गये ऐलानों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। बैठक के विवरण में ये भी कहा गया है कि सरकार के पूँजीगत खर्चों और टैक्स में राहत देने से उपभोग को सहारा मिलेगा। लोगों के हाथ में जब ज्यादा पैसे आयेंगे तो माँग बढ़ेगी, जबकि पलिसी में राहत से कर्ज लेने की लागत कम होगी और क्रेडिट ग्रोथ में सुधार होगा। साथ ही बैंकों का बहीखाता भी मजबूत होगा। आरबीआई की अगली एमपीसी की बैठक 7-9 अप्रैल को होगी।

(शेयर मंथन, 23 फरवरी 2025)

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