शेयर मंथन में खोजें

बाजार में नमो-मंत्र और चुनावी संभावनाओं के अगर-मगर

राजीव रंजन झा : नवंबर के पहले हफ्ते में खबर आयी थी कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को चुनावी सफलता मिलने की उम्मीदों के मद्देनजर गोल्डमैन सैक्स ने निफ्टी (Nifty) का लक्ष्य 5700 से बढ़ा कर 6900 कर दिया है, और अब सीएलएसए ने बाकायदा अपनी ओर से एक सर्वेक्षण जारी कर दिया है कि भाजपा को आगामी लोकसभा चुनावों में 202 सीटें मिलेंगी।
लगता है कि अब चुनावी सर्वेक्षणों के पारंपरिक खिलाड़ियों को बिल्कुल नये खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी! सीएलएसए के सर्वेक्षण में कई राज्यों में भाजपा के खाते में इतनी सीटें जोड़ी गयी हैं, जितनी शायद खुद भाजपा को भी नहीं होगी। जैसे, इसने भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 में से 40 सीटें और राजस्थान की 25 में से 20 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है।
संख्याओं पर सबके अलग-अलग अनुमान हो सकते हैं, लेकिन गोल्डमैन सैक्स और सीएलएसए दोनों की रिपोर्ट एक मुख्य बात को सामने रखती है। वह बात यही है कि शेयर बाजार लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत की संभावनाएँ देख रहा है और इस बात को अपने लिए अच्छा मान रहा है। इस बात में संदेह नहीं है कि सीएलएसए ने बाजार के सहभागियों के बीच चल रही भावना को ठीक से सामने रखा है।
शेयर बाजार ने अगस्त से अब तक जो बढ़त हासिल की है, उसका एक प्रमुख कारण बाजार की यह धारणा ही है कि अगले चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बना सकेगी। गोल्डमैन सैक्स और सीएलएसए ने बाजार की इस धारणा को ही प्रतिबिंबित किया है।
लेकिन बाजार की यह धारणा कई तरह के जोखिमों को आमंत्रण दे रही है। मेरा आकलन यह है कि इस समय कांग्रेस चुनावी मैदान में कमजोर है, और भाजपा उसकी तुलना में ठीक-ठाक बढ़त ले चुकी है। लेकिन जहाँ कांग्रेस की सीटें घटने की बहुत साफ भविष्यवाणी की जा सकती है, वहीं दावे के साथ यह कह पाना मुश्किल है कि भाजपा बहुमत के लिए जरूरी आँकड़े को हासिल कर पाने की स्थिति में आ चुकी है। अभी बाजार यही मान कर चल रहा है कि जब भाजपा अच्छी-खासी सीटें हासिल कर लेगी तो बहुमत में जितनी कमी होगी उसे पूरा करने के लिए नये सहयोगी आ ही जायेंगे।
इसी बिंदु पर बहुत सारे अगर-मगर आ रहे हैं, लेकिन बाजार उन पहलुओं को दरी के नीचे डालने की मनोवृति दिखा रहा है। अगर हम सीएलएसए के सर्वेक्षण में सामने आयी संख्याओं को हकीकत मान लें, तो क्या भाजपा केवल 202 सीटों पर सरकार बना पाने की स्थिति में होगी? आप कह सकते हैं कि लगभग इतनी ही सीटों पर कांग्रेस ने भी तो सरकार चलायी है ना। मान लिया।
लेकिन करीब 200 सीटों से बहुमत के लिए जरूरी करीब पौने तीन सौ सीटों तक जाने के लिए जिन क्षेत्रीय दलों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी, वे नरेंद्र मोदी के नाम पर सहमत नहीं हुए तो क्या होगा? मैंने कल एक विश्लेषक से पूछा कि अगर चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बने, लेकिन नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री न बन सकें तो क्या बाजार का उत्साह उतना ही रहेगा या कुछ घट जायेगा? उन्होंने कहा कि घट जायेगा।
अगर भाजपा की सीटें 200 के बदले 170-180 तक ही रह जायें तो क्या होगा? तब बहुमत तक जाने के लिए जिन क्षेत्रीय छत्रपों के समर्थन की जरूरत होगी, उनमें से बहुत सारे लोग खुद ही बादशाहत पाने को लालायित हो जायेंगे। बाजार को जिस तीसरे मोर्चे के नाम से ही डर लगता है, उसकी संभावना अभी एकदम से खारिज की जा सकती है क्या? अगर कांग्रेस कमजोर हो गयी, लेकिन भाजपा बहुमत जुटा सकने लायक मजबूत नहीं हो सकी तो फिर तीसरे मोर्चे का बेताल फिर से कंधे पर लटक जायेगा।
मैं इन संभावनाओं की चर्चा केवल आज सामने आ रहे अनुमानों के आधार पर कर रहा हूँ। अभी मोटी-मोटी बात यही दिख रही है कि देश में नरेंद्र मोदी अपने पक्ष में एक चुनावी हवा बहा पाने में सफल हुए हैं। लेकिन यह हवा एक बड़ी लहर पैदा कर चुकी है, यह बात अब तक के सर्वेक्षण तो नहीं बता रहे। अगर संभावनाएँ 160-200 सीटों के बीच अटक जा रही हों, तो इसे बड़ी लहर नहीं कहा जा सकता।
चुनावी समर जैसे-जैसे करीब आयेगा, वैसे-वैसे तस्वीर ज्यादा साफ होगी। मुमकिन है कि मोदी निरंतर और मजबूत होते जायें। वैसी हालत में भाजपा की चुनावी संभावनाओं का आँकड़ा भी 200 से कहीं ज्यादा ऊपर उठ सकता है। कई बार सर्वेक्षक और समीक्षक हवा और लहर को तो महसूस कर लेते हैं, लेकिन संख्या का ठीक अंदाजा नहीं लगा पाते। उत्तर प्रदेश में मायावती के स्पष्ट बहुमत और उसके पाँच साल बाद अखिलेश को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावनाएँ भी लोग नहीं देख पाये थे। संभव है कि चुनावी नतीजे मोदी और भाजपा के पक्ष में इतने स्पष्ट ढंग से आयें कि किसी अगर-मगर की कोई गुंजाइश ही बाकी न रहे। लेकिन कम-से-कम आज वैसी स्थिति नजर नहीं आ रही। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 20 नवंबर 2013)

Add comment

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

देश मंथन के आलेख

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"