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बुनियादी ढाँचे पर खर्च बढ़ने की आशा

sharmila joshiशर्मिला जोशी
निवेश सलाहकार, चेशायर इन्वेस्टमेंट
अभी घरेलू और वैश्विक दोनों लिहाज से काफी बाधाएँ हैं।

चीजें बदल रही हैं और हमारी सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम इन बदलावों के मुताबिक कितनी तेजी से ढल पाते हैं। बाजार की मुख्य चिंताओं में नोटबंदी, विकास दर में धीमेपन, बजट, उभरते बाजारों के लिए निवेश प्रवाह में कमी और पश्चिमी देशों में संरक्षणवाद के उभरने से पूर्वी देशों का निर्यात प्रभावित होना शामिल हैं। सकारात्मक बात यह है कि बैंक कम ब्याज दरों पर ऋण देना शुरू करेंगे, जिससे बुनियादी ढाँचे पर खर्च बढ़ेगा। महँगाई दर नियंत्रण में है और कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर से नीचे के दायरे में ही रहने की उम्मीद है। अगले छह महीनों के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण कारक कच्चे तेल की कीमत और वैश्विक अर्थव्यवस्था ही है। हालाँकि नोटबंदी के चलते उपभोग की कहानी गड़बड़ा गयी है और विकास दर पर असर पड़ा है। पर आगे चल कर ब्याज दरों में कमी होगी और रियल एस्टेट की कीमतें नीचे आयेंगी।
इस साल मुझे आईटी और दवा क्षेत्र मजबूत लगते हैं, जबकि बिजली क्षेत्र बाजार से धीमा चलेगा। सेंसेक्स अगले छह महीनों में 27,200 और साल भर में 29,000 तक पहुँच सकता है। वहीं निफ्टी छह महीने में 8,300 और साल भर में 8,900 पर पहुँचेगा। निफ्टी का साल भर का दायरा 9,000 से 7,600 तक का लगता है। सेंसेक्स फिर से 30,000 तक साल 2018 में लौट सकेगा, जबकि साल 2020 तक यह 40,000 को छू सकता है। (शेयर मंथन, 03 जनवरी 2017)

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