भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल फिर से कुछ धीमी पड़ी है। मुख्य रूप से कृषि, निर्माण (कंस्ट्रक्शन) और खनन (माइनिंग) गतिविधियों में कमी दर्ज किये जाने के कारण विकास दर अपेक्षाकृत धीमी पड़ी है।
अप्रैल-जून 2016 यानी 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान देश की जीडीपी (GDP) बढ़ने की दर या विकास दर 7.1% रही है। इस दौरान कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के विकास की दर केवल 1.8% रही है, जबकि निर्माण क्षेत्र में महज 1.5% की दर से बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल-जून तिमाही में खनन गतिविधियों में 0.4% की गिरावट दर्ज की गयी है।
हालाँकि सारे क्षेत्रों का प्रदर्शन इतना निराशाजनक नहीं रहा है। बीती तिमाही के दौरान बिजली एवं संबंधित क्षेत्र में 9.4%, वित्त, बीमा, रियल एस्टेट क्षेत्र में 9.4%, विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) में 9.1% और कारोबार, यातायात एवं संचार क्षेत्र में 8.1% की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
चिंता का विषय यह भी है कि अप्रैल-जून तिमाही में पूँजी निवेश (फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन) में 1.1% की गिरावट दर्ज की गयी है, जबकि साल 2015-16 की इसी तिमाही के दौरान इसमें 6.8% की बढ़ोतरी हुई थी। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी सालाना रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन इसकी क्षमता से कमतर रहा है।
जनवरी-मार्च 2016 के दौरान भारत की जीडीपी में 7.9% की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी, जबकि पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही में यह दर 7.5% थी। ध्यान रहे कि वित्त वर्ष 2015-16 में भारत की जीडीपी 7.6% की दर से बढ़ी थी।
हालाँकि बेहतर मॉनसून, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रवाह में बढ़ोतरी की वजह से जानकार जुलाई-सितंबर 2016 तिमाही में जीडीपी विकास की दर बढ़ने के बारे में आशावान हैं। उद्योग संगठन फिक्की ने भी मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में मौजूदा साल में देश की जीडीपी विकास की दर 7.8% रहने की उम्मीद जाहिर की है। फिक्की ने इस रिपोर्ट में कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली माँग में बढ़ोतरी होने और औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर होने की वजह से इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल के मुकाबले तेजी से बढ़ेगी। (शेयर मंथन, 31 अगस्त 2016)