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म्यूचुअल फंड निवेश : चिल्ड्रेन फंड से दूर करें बच्चों की उच्च शिक्षा के खर्च कर चिंता

आम आदमी के बड़े सपनों को पूरा करने का आसान और टिकाऊ जरिया हैं म्यूचुअल फंड। सोच-विचार कर नियोजित तरीके से इनमें निवेश किया जाये तो मकान, कार, बच्चों की पढ़ाई और उनकी शादी तक का इंतजाम किया जा सकता है। बच्चों की शिक्षा के लिए चिंतित माता-पिता के लिए चिल्ड्रन फंड एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं।

चिल्ड्रन फंड क्या होते हैं?

चिल्ड्रन फंड या चाइल्ड म्यूचुअल फंड एक निवेश योजना है जो बच्चों की उच्च शिक्षा सहित शादी जैसी उनकी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं। इन फंड में आम तौर पर 5 साल का लॉक-इन होता है, ताकि निवेशक बिना बाधा के लक्ष्य तक पहुँच सकें। निवेश कोई भी हो लंबी अवधि में अच्छे नतीजे देता है, यही बात म्यूचुअल फंड के इस निवेश पर भी लागू होती है।

कैसे काम करता है चिल्ड्रन फंड?

इन फंड्स को आम तौर पर इक्विटी और डेट को मिलाकर बनाया जाता है। इनका निवेश ज्यादा रिटर्न के लिए इक्विटी और जोखिम को कम करने के लिए डेट में किया जाता है। इसमें निवेशक अपनी जोखिम क्षमता के अनुसान दोनों की हिस्सेदारी को एक तय मानक से कम या ज्यादा कर सकता है। जैसे:

इक्विटी केंद्रित: अमूमन जिन लोगों को ज्यादा रिटर्न चाहिए वो इक्विटी को प्राथमिकता देते हैं। इसमें 60% या अधिक हिस्सेदारी इक्विटी की होती है जिसे आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के मुताबिक कम या ज्यादा कर सकते हैं। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि इक्विटी की हिस्सेदारी किसी भी सूरत में 60% से कम नहीं हो सकती है। इन फंड्स का निवेश इक्विटी और उससे जुड़ी परिसंपत्तियों में होता है जिससे कि ज्यादा रिटर्न मिल सके।

डेट केंद्रित: जिन निवेशकों की प्राथमिकता रिटर्न नहीं बल्की पूंजी की सुरक्षा होती है वो इस विकल्प को चुनते हैं। इसमें भी इक्विटी की तरह 60 फीसदी निवेश डेट और उससे संबंधित इन्स्ट्रूमेंट्स में होता है। लेकिन रुझान डेट में होने के कारण उसका असर रिटर्न पर भी पड़ता है।

चिल्ड्रन फंड की विशेषतायें

1) फंड का उद्देश्य: चिल्ड्रेन फंड का उद्देश्य बच्चों की उच्च शिक्षा या शादी में इस्तेमाल करने के लिए लंबी अवधि में पूँजी खड़ी करना होता है।

2) लॉक-इन अवधि: इन फंड्स में लॉक-इन की मियाद कम से कम 5 साल या बच्चे के 18 साल के होने तक, जो भी पहले हो, रहती है।

3) एग्जिट लोड और एक्सपेंस रेशियो: इन फंड्स के लॉक-इन की मियाद से पहले पैसा निकालने पर एएमसी अच्छा खासा एग्जिट लोड लगा सकती है।

इन फंड्स की जरूरत क्या है?

जानकार कहते हैं कि देश में शिक्षा की लागत आसमान छू रही है। हायर एजुकेशन के लिए कॉलेजों की फीस सालाना करीब 11-12% की दर से बढ़ रही है। एक एमबीए कोर्स की लागत पिछले 20 साल में करीब 8 गुना तक बढ़ गयी है। इसलिए एक ऐसे फंड की जरूरत है जो सिर्फ बच्चों और उनकी जरूरतों पर केंद्रित हो न कि दूसरे लक्ष्यों पर, क्योंकि दूसरे फंड घर बनाने, गाड़ी खरीदने, विदेश यात्रा वगैरह जैसी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। 

(शेयर मंथन, 28 फरवरी 2025)

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