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कैलेंडर वर्ष 2025 का दूसरा महीना, यानी फरवरी लगभग खत्म होने वाला है और इस साल अब तक भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। भारतीय बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी में 2025 में अब तक आयी गिरावट उभरते बाजारों में तीसरी सर्वाधिक गिरावट है। इस मामले में ये अब केवल फिलीपींस और थाईलैंस के बाजारों से पीछे है।
कभी दुनिया के शानदार प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शामिल रहे भारतीय बाजार में नये साल 2025 की शुरुआत हाल के वर्षों में सबसे कमजोर रही। देश की शीर्ष 50 कंपनियों को ट्रैक करने वाले निफ्टी 50 सूचकांक में इस साल अब तक अमेरिकी डॉलर के लिहाज से 6% की गिरावट आयी है।
आज भी 1% से ज्यादा टूटे बाजार
भारतीय शेयर बाजार का बेंचमार्क सूचकांक सोमवार (24 फरवरी) को एनएसई का निफ्टी 50 242.55 अंक टूट कर 22,553.35 के स्तर पर आ गया और 1.06% की नरमी के साथ बंद हुआ। बीएसई के सेंसेक्स 30 में 856.65 अंकों का नुकसान दर्ज किया गया और ये 1.14% की गिरावट के साथ 74,454.41 के स्तर पर बंद हुआ। 2025 में अब तक निफ्टी की गिरावट उभरते बाजारों में तीसरी सबसे बड़ी गिरावट है, जो केवल थाईलैंड और फिलीपींस के बेंचमार्क सूचकांकों से पीछे है। जहाँ थाईलैंड के बाजार 10% तक टूट चुके हैं, वहीं फिलीपींस के पीएसईआई सूचकांक में 6.7% का नुकसान देखने को मिला है।
भारतीय बाजार के प्रति फंड मैनेजर उदासीन
बैंक ऑफ अमेरिका के हालिया सर्वे में भारतीय स्टॉक के लिए घटती रुची स्पष्ट तौर से देखने को मिली, जिसमें भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले फंड मैनेजरों की संख्या में कमी का पता चलता है। बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्योरिटीज के मुताबिक, 19% फंड मैनेजर भारतीय बाजार में अगले 12 महीनों के परिप्रेक्ष्य से उदासीन हैं, जो जनवरी में 10% के आँकड़े से अधिक है। बोफा सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, पिछले महीने की तीव्र गिरावट के बाद चीन के लिए आवंटन में वापसी हुई है, जबकि उस समय पसंदीदा रहे भारतीय बाजारों के लिए समर्थन लगातार कम हो रहा है और ये आवंटन घटकर दो साल निम्न स्तर पर आ गया है।
इतनी गिरावट के बावजूद महँगा है निफ्टी
एशियाई बाजारों में हॉन्ग कॉन्ग का हैंग सेंग और दक्षिण कोरिया का कोस्पी इस साल अब तक श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बाजारों में है। हैंग सेंग सूचकांक ने 16.4% की बढ़त के साथ एशिया में तेजी का नेतृत्व किया है, जबकि कोस्पी में इसी अवधि में 14% की उछाल देखने को मिली है। दिलचस्प बात यह है कि चीनी शेयरों में 25% की तेजी के बावजूद, शंघाई कंपोजिट अब भी अपनी एक साल की अग्रिम आय के 12.3 गुना पर कारोबार कर रहा है, जबकि कोरिया के कोस्पी का मूल्यांकन अगले साल की आय के 9.3 गुना पर है। ब्लूमबर्ग के आँकड़ों के अनुसार, निफ्टी 50 इसकी तुलना में अब भी ज्यादा महँगा है, जो आगे की आय के 18.7 गुना पर कारोबार कर रहा है।
अब तक 24 अरब डॉलर की बिकवाली कर चुके एफपीआई
इस बीच, पिछले साल अक्टूबर से भारतीय शेयरों की बिकवाली कर रहे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने शुक्रवार (21 फरवरी) को 40 करोड़ डॉलर के और शेयर बेचे। पिछले साल सितंबर के अंत से, एफपीआई ने शुद्ध आधार पर कुल मिलाकर 24 अरब डॉलर के भारतीय शेयर बेचे हैं। शुरू में विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली महँगे मूल्यांकन और आर्थिक वृद्धि की धीमी रफ्तार की वजह से हुई। हालाँकि, अमेरिकी बॉन्ड ईल्ड में बढ़त और रुपये की कमजोरी के कारण भारतीय बाजार के कम आकर्षक होने से बिकवाली और भी तीव्र हो गयी। जहाँ अमेरिकी ट्रेजरी ईल्ड 4.4% के आसपास मंडरा रही है, भारतीय रुपया पिछल छह महीनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 3.2% टूट चुका है, जो विदेशी निवेशकों की चिंता को और बढ़ा रहा है।
(शेयर मंथन, 21 फरवरी 2025)
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