सोयाबीन वायदा की कीमतें अपने चार महीने के उच्च स्तर पर 3,914 रुपये से तेजी गिरावट के साथ पिछले हफ्ते 3,650 रुपये नजदीक सपोर्ट प्राप्त करने में सफल रही।
इसकी कीमतों में 3,838 के उच्च स्तर पर बढ़त दर्ज की गयी। इससे पता चलता है कि कीमतों में तेजी जारी रह सकती है और कम उत्पादन अनुमान और आवक की धीमी गति के कारण कीमतों के गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। मार्च वायदा की कीमतें तेजी के रुझान के साथ ही 3,750-3,850 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। पिछले एक महीने से रुपये के कमजोर होने से खाद्य तेल की कीमतों को मदद मिल रही है। रुपया तीन महीने के निचले स्तर 65 पर पहुँच गया है। यदि इस तरह से रुपया कमजोर होता रहा तो खाद्य तेलों का आयात महंगा हो सकता है, जिसके कारण रिफाइंड सोया तेल वायदा (मार्च) की कीमतें 760-762 के स्तर पर पहुँच सकती हैं। रुपये के कमजोर होने और आयात शुल्क में बढ़ोतरी के कारण सीपीओ वायदा की कीमतों को मदद मिल रही है और कीमतें 3 वर्षो के उच्च स्तर 619.80 के स्तर पर पहुँच गयी हैं। सरकार ने कच्चे पॉम तेल पर आयात शुल्क 30% से बढ़ा कर 44% कर दिया है, जबकि रिफाइंड पॉम तेल पर आयात शुल्क 40% से बढ़ा कर 54% कर दिया है इस तरह सीपीओ (मार्च) की कीमतों में 620-625 रुपये तक बढ़त जारी रह सकती है। सरसों वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 4,090-4,140 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। साल्वेंट एक्सटैंक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार सरसों का उत्पादन 3.87% की कमी के साथ 6.33 मिलियन टन होने के अनुमान से कीमतों को मदद मिल सकती है। लेकिन सरसों मील एवं तेल के लिए पेराई मार्जिन काफी कम 463.50 रुपये प्रति टन होने के कारण कैरी-ओवर स्टॉक अधिक हो जाने से कीमतों की बढ़त पर रोक लग सकती है। (शेयर मंथन, 05 मार्च 2018)
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