वर्ष के प्रारंभ से ही सीमित माँग के मुकाबले अधिक उत्पादन अनुमान के कारण हल्दी वायदा की कीमतों में गिरावट हो रही है।
पिछले हफ्ते के आँकड़ों, जब इरोद के ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसाइटी में केवल एक बैग हल्दी की बिक्री हुई थी, से पता चलता है कि खरीदार हल्दी की खरीदारी को लेकर रूचि नहीं दिखा रहे है। इसके अतिरिक्त हल्दी की आवक शुरू हो गयी है और मौजूदा रफ्तार से पता चलता है कि तेलगांना, अंध्रा प्रदेश और महाराष्ट्र में हल्दी की बेहतर फसल हुई है। हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 6,300-6,200 रुपये तक गिरावट हो सकती है। एनीसीडीईएक्स में जीरे की कीमतों में 18,040 रुपये उच्च स्तर से लगभग 18% की गिरावट हुई और हाजिर बाजार में लगातार अधिक आवक के कारण वर्तमान समय में कीमतें लगभग दो महीने के निचले स्तर पर पहुँच गयी है। फेडरेशन ऑफ इंडिया स्पाइस स्टेकहोल्डर के अनुसार गुजरात और राजस्थान में जीरे की कुल खेती 42% से बढ़ कर 757743.93 हेक्टेयर में हुई है और उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 19% बढ़ कर 69,23,451 बैग होने का अनुमान है। इसके अलावा 2-2.5 लाख बैग के कैरी-ओवर स्टॉक के कारण भी कीमतों पर दबाव रह सकता है। इस प्रकार आपूर्ति के काफी अधिक रहने के कारण जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 14,500 रुपये तक गिरावट हो सकती है। धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 5,400 के नजदीक सपोर्ट के साथ बढ़त के लिए जद्दोजहद कर रही है। लेकिन कीमतों को 5,750 के नजदीक रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है। आगामी दिनों में, कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। क्योंकि विक्रेता कीमतों में बढ़ोतरी के बाद बिकवाली कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि इस वर्ष धनिये का उत्पादन 48.82 लाख बैग होने का अनुमान है और कैरी-ओवर स्टॉक 14 लाख होने का अनुमान है। (शेयर मंथन, 05 मार्च 2018)
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