एसएमसी कमोडिटी ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि पिछले कई हफ्तों से हल्दी की कीमतों में गिरावट हो रही थी, लेकिन पिछले हफ्ते कीमतों में अच्छी खासी रिकवरी दर्ज की गयी।
अब उच्च स्तर पर कीमतों में स्थिरता काफी अहम है, क्योंकि फंडामेंटल के अनुसार अधिक बढ़त की संभावना नहीं है। दिसंबर के अंत तक निजामाबाद में नयी फसल की आवक से कीमतों पर दबाव पड़ सकता है। इरोद टर्मरिक मर्चेंट्स एसोसिएशन सेल्स यार्ड में फिंगर वेरायटी की कीमतें 5,634-7,666 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतें 5,008-7,077 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार कर रही हैं।
जारी वायदा (जनवरी) की कीमतें दो महीने के निचले स्तर 18,400 रुपये के नजदीक कारोबार कर रही हैं। खरीदार नयी फसल की आवक का इंतजार कर रहे हैं और बुआई की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं। नवंबर के अंतिम हफ्ते तक राजस्थान में पिछले वर्ष की समान अवधि के 2.5 लाख हेक्टर की तुलना में 24% की बढ़ोतरी के साथ 3.1 लाख हेक्टर में जीरे की बुआई हुई है। लेकिन गुजरात में 10 दिसंबर तक जीरे की बुआई 2,68,368 हेक्टर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 3,11,366 हेक्टर हुई थी। गुजरात में जीरे की बुआई पूरे जोर-शोर से नहीं हो पा रही है, लेकिन राज्य में बुआई के लिए जीरे की खरीदारी में पहले ही 10% की वृद्धि हो चुकी है। इसका कारण यह है कि राजस्थान के किसान और कारोबारी ऊँझा से बुआई के लिए जीरे की खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि गुजरात के बीच की उत्पादकता बेहतर होती है।
कम उत्पादन अनुमान के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में तेजी बरकरार रह सकती है और कीमतें 6,500-6,900 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। छिटपुट बारिश और किसानों के चना एवं गेहूँ जैसी लाभकारी फसलों की खेती की ओर रुख करने के कारण बुआई और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। (शेयर मंथन, 17 दिसंबर 2018)
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