सोयाबीन वायदा (जून) की कीमतों के 3,670-3,715 रुपये के दायरे में रहने की संभावना है।
कारोबारी सतर्क है और मॉनसून की प्रगति के साथ ही मौजूदा सीजन में किसानों द्वारा सोयाबीन की बुआई पर नजर रखे हुए हैं। मौसम विभाग के अनुमानों के अनुसार पूरे देश में मॉनसूनी बारिश लंबी अवधि के औसत का 96% होने की संभावना है। उतर-पश्चित भारत में लंबी अवधि के औसत का 94% मध्य भारत में 100% दक्षिण पेनिन्सुला में 97% और उतर-पूर्व में 91% होने का अनुमान है। अमेरिका में सोयाबीन की बुआई में देरी के कारण सीबोट में सोयाबीन वायदा की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
सोया तेल वायदा (जून) की कीमतों को 757-760 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने घरेलू तेल मिलों और किसानों के हितों की सुरक्षा को देखते हुए नेपाल के रास्ते सस्ते और शुल्क रहित आयात पर रोक लगाने की योजना बनायी है। मलेशियाई पॉम ऑयल की कीमतों में नरमी के कारण सीपीओ वायदा की कीमतों पर भी दबाव पड़ रहा है। नवीनतम खबरों में पोलैंड यूरोपीय संघ द्वारा जैव ईंधन में पॉम ऑयल के उपयोग को प्रतिबंधित करने के खिलाफ है। कुल मिलाकर जून कॉन्ट्रैक्ट की कीमतें 517 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टूट सकती है और 515-513 रुपये तक लुढ़कने की उम्मीद है।
सरसों वायदा (जून) की कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतें 3,970-4,000 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। भारतीय साल्वेंट एक्सट्रैक्टर एसोसिएशन ने सरकार से आग्रह किया है कि अन्य खाद्य तेलों की तरह ही सरसों तेल के निर्यात को मंजूरी प्रदान की जाये। अमेरिका, पश्चिम एशिया, इंग्लैंड, नेपाल, कनाडा और भूटान भारतीय सरसों तेल के प्रमुख उपभोक्ता हैं। (शेयर मंथन, 03 जून 2019)
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