हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 5,760 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 5,650 रुपये के स्तर तक गिरावट होने की संभावना है।
आने वाले दिनों में, आपूर्ति का दबाव बढ़ने की संभावना है क्योंकि महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस सप्ताह तक नयी फसल की कटाई शुरू हो जायेगी। कैरी ओवरस्टॉक भी काफी अधिक हैं और कारोबारियों एवं स्टॉकिस्टों के पास नकदी के संकट की स्थिति भी देखी जा सकती है जिससे जरूरत अनुसार ही खरीदारी कर रहे हैं। मध्य पूर्व, अमेरिका, यूरोप के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया और घरेलू बाजार में ऑर्डर घटने के साथ ही त्योहारी सीजन लगभग खत्म हो रहा है, जिससे हम हाजिर बाजारों में कोई थोक खरीदारी नहीं देख सकते हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 14,150-14,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। गुजरात कृषि निदेशालय के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, इस वर्ष किसानों ने 17 नवंबर तक 50,496 हेक्टेयर में जीरा की बुआई की है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 19,723 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। दूसरे, यद्यपि सीरिया और तुर्की में कम उत्पादन ने भारत को अपनी बेहतर गुणवत्ता के कारण पिछले दो वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़त प्रदान किया है लेकिन इस वर्ष गर्मियों में उच्च उत्पादन भारत के लिए नुकसान होने की संभावना है। एफआईएसएस ने पिछले सीजन में 17,000-18,000 टन के मुकाबले 2020-21 में सीरिया में 30,000 टन जीरा उत्पादन का अनुमान लगाया है, जबकि तुर्की का उत्पादन समान अवधि में 5,000-7,000 टन के मुकाबले 12,000-15,000 टन तक पहुँच गया है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 6,450-6,550 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है जबकि कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। विदेशों से सुस्त माँग और स्थानीय मसाला मिलों की ओर से कमजोर खरीदारी के चलते कीमतों में गिरावट हुई है। तमिलनाडु और केरल के मसाला निर्माताओं ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की है, जबकि स्थानीय खरीद में भी कमी है। राजस्थान और दिल्ली में बढ़ते कोरोना मामलों ने हाजिर धनिया बाजार में व्यापार को प्रभावित किया है। यहाँ तक कि जिन स्टॉकिस्टों को दीवाली के बाद धनिया की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, अब अपने स्टॉक को बेचना शुरु कर दिया है। (शेयर मंथन, 24 नवंबर 2020)
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