कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 19,800-20,200 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी के रुझान के बरकरार रहने के बावजूद दो कारकों के कारण बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। सबसे पहले, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार अभी भी भारतीय कपास निगम, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी, कताई मिलों और एमसीएक्स के पास 30 नवंबर तक कपास का भंडार लगभग 91.57 लाख बेल होने का अनुमान है। दूसरी बात, कोविड-19 की नयी लहर की आशंका से किसानों के अपने स्टॉक को बेचने की इच्छा से कपास की दैनिक आवक बढ़कर 2.5-3.00 लाख बेल हो गयी है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर के अंत तक, कुल फसल का लगभग 45-50% बाजार में आ जायेगा, जिससे कीमतों पर दबाव होगा।
चना वायदा की कीमतों में पिछले तीन महीनों में 5,670 रुपये के उच्च स्तर से लगभग 19% की गिरावट दर्ज की गयी है जो इस चालू रबी सीजन में उत्पादन क्षेत्र में तीव्र वृद्धि के कारण है। दूसरी बात, राज्य एजेंसी नेफेड के माध्यम से सरकार द्वारा बाजार हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप कीमतों में गिरावट हुई है। फिर भी नॉफेड द्वारा मूल्य स्थिरीकरण योजना के तहत रबी सीजन- 2020 के स्टॉक को दिसम्बर महीने में सभी राज्यों को 5,100 रुपये प्रति क्विंटल के आधार मूल्य पर या उससे ऊपर बेचने की खबर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में आगामी दिनों हम जनवरी कॉन्टैंक्ट की कीमतों को 4,650 रुपये के पास सहारा लेते हुये देख सकते हैं।
ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ क्रमशः 3,850 रुपये और 5,970 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ कारोबार करने की उम्मीद है। मार्च से अब तक पहली बार ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें 50 डॉलर प्रति बैरल को छू रही हैं और पिछले दो महीनों से तेल रिगों की संख्या में 189-246 तक वृद्धि इस बात का संकेत दे रही है कि आने वाले दिनों में इन कमोडिटीज के निर्यात में तेजी आ सकती है। (शेयर मंथन, 14 दिसंबर 2020)
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