राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर सोयाबीन वायदा की कीमतों में तेजी का रुझान है क्योंकि वैश्विक स्तर पर अधिक कीमतें भारतीय निर्यातकों को अवसर प्रदान कर रही हैं।
अमेरिका, फ्रांस, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों की ओर से जोरदार खरीद से भारतीय सोयामील निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। एसओपीए ने तेल वर्ष 2020-21 में 18 लाख टन सोयामील निर्यात का अनुमान लगाया है जो पिछले वर्ष के 8.6 लाख टन से दोगुने से अधिक है। एसओपीए ने पहले पाँच महीनों में 70 लाख टन सोयाबीन आवक का अनुमान लगाया है और किसानों, पेराई संयंत्रों और व्यापारियों के पास 45.40 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। माँग-आपूर्ति के कारकों को देखते हुये अप्रैल कॉन्टैंक्ट की कीमतों के 5,500-5,600 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है।
इस तिलहन में बढ़ोतरी के बाद, सोया तेल वायदा (अप्रैल) की कीमतों के भी 1,350-1,400 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, बायोडीजल की खपत में बढ़ोतरी के साथ ही सामाजिक दूरी कम होने और व्यापार प्रतिबंधें में छूट के कारण रेस्तरां और घर से बाहर अन्य स्थानों पर भोजनालयों की ओर से तेल की माँग में तेजी आने से सोयाबीन तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। सीपीओ वायदा (मार्च) की कीमतों में भी तेजी है और कीमतें 1,170-1,180 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। पॉम ऑयल भंडार में कमी और प्रतिद्वंद्वी सोया तेल की कीमतों में मजबूती के मलेशियाई पॉम तेल वायदा की कीमतें 13 वर्ष के उच्च स्तर पर पहुँच गयी है। उद्योग नियामक मलेशियाई पॉम ऑयल बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार, फरवरी के अंत तक पॉम ऑयल का भंडार अनुमान से अधिक कम होकर 1.3 मिलियन टन रह गया है क्योंकि उत्पादन घटकर पाँच साल में सबसे कम हो गया है।
सरसों वायदा (अप्रैल) की कीमतें 6,000-6,100 रुपये तक बढ़ सकती है। तिलहनों के साथ-साथ खाद्य तेल काउंटरों के सेंटीमेंट में तेजी, पेराई के लिए मिलों की ओर से उच्च माँग, स्टॉकिस्टों द्वारा थोक खरीद और कम कैरीओवर स्टॉक के कारण आने वाले दिनों में कीमतों में बढ़त जारी रह सकती है। (शेयर मंथन, 15 मार्च 2021)
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