हल्दी वायदा (अगस्त) की कीमतें यदि 7,350 रुपये के स्तर से नीचे टूटती है तो कीमतें नरमी के रुझान के साथ 7,050-7,000 रुपये के स्तर तक गिरावट दर्ज कर सकती है।
दैनिक चार्ट में कीमतों में नरमी का रुझान है क्योंकि 50 दिन का मूविंग औसत कीमतों में बढ़ोतरी के लिए एक मजबूत बाधा है। वर्तमान में, हल्दी की माँग स्थिर है और प्राथमिक स्रोतों से आपूर्ति में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन भारी बारिश के कारण फसल को होने वाले किसी भी नुकसान से कीमतों को मदद मिलती रह सकती है। इरोड, डुग्गीराला और वारंगल बाजार में, हल्दी की कीमतें आवक और गुणवत्ता के आधार पर एक दायरे में हैं। हल्दी की बुआई वाले राज्यों में लगातार बारिश हुई और फसल अच्छी स्थिति में है। आम तौर पर, हल्दी का निर्यात जुलाई के बाद दिसंबर के अंत में नये सीजन में हल्दी की कटाई तक कम हो जाता है।
जीरा वायदा (अगस्त) की कीमतें पिछले सप्ताह तेजी से गिरकर 13,600 रुपये के स्तर पर आ गयी जहाँ से कारोबारियों की ओर से अधिक माँग हो सकती है। हम उम्मीद करते हैं कि कीमतें इस सप्ताह फिर से 13,700 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है और 13,000 रुपये के स्तर पर मजबूत स्टॉप लॉस होगा। निर्यात माँग में कमी और स्टॉकिस्टों की ओर से धीमी खरीदारी से कीमतों में गिरावट हो रही है। ऊँझा मंडी में गुणवत्ता के आधार पर जीरा का हाजिर भाव 13,000-13,700 रुपये के बीच है। आपूर्ति में सुधार हुआ है क्योंकि जुलाई में कीमतें 13,000 रुपये से बढ़कर 13,500 रुपये हो गयी हैं। किसानों के पास स्टॉक की अधिक उपलब्धता और स्थानीय माँग की अनिश्चितता ने इस सीजन में कीमतों पर दबाव बनाये रखा है। ऊँझा मंडी में रोजाना औसतन 8,000-9,000 बोरी आवक हुई है।
कमजोर माँग के कारण धनिया वायदा (अगस्त) की कीमतों पर दबाव है और हमें उम्मीद है कि कीमतें 6,500-6,400 रुपये के स्तर तक नीचे आ सकती है। प्रमुख हाजिर बाजारों में लगातार आवक के बावजूद धनिया की कीमतें स्थिर हैं। मानसून के मौसम में आम तौर पर आवक और माँग कमजोर रहती है।
धनिया की आवक राजस्थान समेत देश भर की प्रमुख मंडियों में माँग को पूरा कर रही है। मसाला बोर्ड द्वारा 2020-21 में अधिक उत्पादन के अनुमान से कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही है। (शेयर मंथन, 02 अगस्त 2021)
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