कच्चे तेल की कीमतों में नरमी रहने की संभावना है क्योंकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण, नये सिरे से लॉकडाउन से आर्थिक सुधार को धीमा होने की आशंका और अमेरिकी स्टीमुलस वार्ता के बाधित होने से ईंधन की माँग में बढ़ोतरी पर रोक लग सकती है।
दोनों बेंचमार्क कच्चे तेल की कीमतें मासिक गिरावट की ओर अग्रसर हैं, जो ब्रेंट कच्चे तेल के मामले छह महीने में पहली गिरावट होगी। बाजार में लीबियाई आपूर्ति में बढ़ोतरी से भी नरमी का सेंटीमेंट बढ़ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहाँ कोविड-19 संकट से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं और दुनिया का सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, बेरोजगारी का दावा करने वालों की संख्या में पिछले हफ्ते अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है जिससे पता चलता है कि आर्थिक सुधारों की गति पटरी से उतर गयी है। दुनिया के अन्य हिस्सों में, कोरोना वायरस संक्रमण की दैनिक वृद्धि हो रही है और नये प्रतिबंध लगाये जा रहे हैं जो यात्रा और ईंधन की माँग को सीमित करेंगे। भारत में, अगस्त में कच्चे तेल रिफाइनरों द्वारा उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 26.4% कम हो गया है, जो चार महीनों में सबसे अधिक है, क्योंकि कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि से औद्योगिक और परिवहन गतिविधियों के बाधित होने से ईंधन की माँग कम हो गयी। इस सप्ताह यदि कीमतें 3,040 रुपये से नीचे रहती है तो और यह 2,800 रुपये के करीब फिसल सकती हैं। यदि यह 3,040 रुपये से ऊपर रहती है तो अगला लक्ष्य 3,200 रुपये हो सकता है।
नेचुरल गैस की कीमतें बढ़ रही हैं क्योंकि निवेशक लिक्वीफॉइड नेचुरल गैस की बढ़ती माँग पर लगातार दांव लगा रहे हैं। कीमतों में बढ़ोतरी से पता चलता है कि गैस भंडारण में कमी आ रही है। अगले 2 सप्ताह के लिए मध्य-पश्चिम के अधिकांश भाग में सामान्य की तुलना में अधिक ठंडे मौसम का अनुमान है। ईआईए के अनुसार 18 सितंबर को समाप्त सप्ताह में गैस भंडारण में सिर्फ 66 बिलियन क्यूबिक फीट (बीसीएफ) की बढ़ोतरी हुई है। इस सप्ताह नेचुरल गैस की कीमतें 190-230 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 28 सितंबर 2020)