यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधन को लेकर चिंता बढ़ने के बाद, तेल की कीमतों में उछाल आया, और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें 2014 के बाद पहली बार 105 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गयी।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के फिर से खुलने के कारण माँग में तेज वृद्धि के कारण नवंबर से वैश्विक तेल की कीमतों में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है क्योंकि अधिक टीकाकरण के कारण कोविड-19 महामारी कम हो गयी है। लेकिन वैश्विक स्तर पर आपूर्ति बढ़ती माँग को पूरा करने में विफल रही है, जिससे कच्चे तेल के बाजार में तेल की कमी हो गयी है, जिसके कारण विश्लेषकों ने इस साल के अंत तक कीमतों के 100 डॉलर प्रति बैरल तक की भविष्यवाणी की है। जी-7 के सहयोगियों के साथ बात करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी बैंकों और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधें के साथ-साथ दुनिया की प्रमुख मुद्राओं में व्यापार करने की रूस की क्षमता को बाधित करने के उपायों की घोषणा की। इस सप्ताह तेल की कीमतों में तेजी का रुख जारी रहने की संभावना है और किसी भी गिरावट पर सहारा स्तर के नजदीक खरीदारी का अवसर माना जाता है। लेकिन कीमतों में काफी अधिक बढ़ोतरी हुई है इसलिए हमें ऊँचे स्तरों से मुनाफावसूली भी देखने को मिल सकती है। इस सप्ताह कच्चे तेल की कीमतें 6,950-7,480 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है।
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से नेचुरल गैस बाजारों में पूरे सप्ताह में तेजी रही है। बाजार में आपूर्ति की कमी की आशंका से गैस लेने के लिए बाजार में काफी बड़े ऑर्डर हुये है। नेचुरल गैस अभी भी यूक्रेन पाइपलाइन के माध्यम से यूरोपीय संघ की ओर जा रही है। इसके अलावा, उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के अंत के करीब पहुँच रहे हैं, इसलिए नेचुरल गैस की माँग वैसे भी कम होने वाली है। इस सप्ताह में कीमतें 330-370 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। (शेयर मंथन, 28 फरवरी 2022)