बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के कुल व्यय अनुपात (टीईआर) में बदलाव किया है।
अब इक्विटी योजनाओं के लिए अधिकतम टीईआर 1.25% रहेगा। वहीं गैर-इक्विटी योजनाओं, इंडेक्स स्कीम, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) के लिए टीईआर अधिकतम 1% रहेगा।
साथ ही मुख्य रूप से लिक्विड, इंडेक्स और ईटीएफ योजनाओं में निवेश करने वाले एफओएफ में कुल टीईआर (मुख्य योजना के टीईआर सहित) भी अधिकतम 1% होगा। मुख्य रूप से सक्रिय अंतर्निहित योजनाओं में निवेश करने वाले एफओएफ में कुल टीईआर (मूल योजनाओं के टीईआर सहित) इक्विटी योजनाओं के लिए अधिकतम 2.25% और गैर-इक्विटी योजनाओं में अधिकतम 2% होगा।
हालाँकि सेबी ने बी-30 (मुख्य 30 शहरों के अलावा) में बिक्री के लिए 30 आधार अंकों के अतिरिक्त व्यय की मंजूरी दे दी है। बाजार नियामक ने 500 अरब रुपये की एयूएम (प्रबंधन अधीन संपत्ति) वाले फंड हाउसों के लिए टीईआर को 1.75% से घटा कर 1.05% कर दिया है।
18 सितंबर को हुई सेबी की बैठक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को राहत देने के लिए भी एक फैसला लिया गया है। एफपीआई और उनमें विशेषकर प्रवासी भारतीयों के मामले में केवाईसी (Know Your Customer) जरूरतों में ढील देने के एचआर खान समिति के सुझावों को सेबी ने स्वीकार किया। खान समिति ने अपने सुझावों में कहा था कि सेबी के विवादास्पद परिपत्र का इस्तेमाल स्वामित्व निर्धारण के लिए नहीं बल्कि केवाईसी तय करने के लिए किया जाना चाहिए।
समिति ने प्रवासी भारतीयों को विदेशी फंड का प्रबंधन और उसमें निवेश करने की अनुमति की भी बात कही थी। सेबी ने खान समिति के लगभग सभी प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है, जिन पर जल्द ही अंतिम परिपत्र जारी किया जायेगा। इसके अलावा आईपीओ (IPO) के बाद कंपनी की सूचकांकों पर सूचीबद्धता के लिए समय सीमा को 6 से घटा कर 3 तीन कर दिया गया है। (शेयर मंथन, 19 सितंबर 2018)