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क्या इन भावों पर आप खरीदेंगे रिलायंस (RIL) का शेयर?

राजीव रंजन झा : तकनीकी और बुनियादी विश्लेषण के बीच की दुविधा को समझना हो तो इस समय शायद रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) का शेयर एक बढ़िया उदाहरण सामने रख रहा है।

तिमाही नतीजों के बाद और इससे कुछ पहले आयी उछाल के बाद कम ही बुनियादी विश्लेषक होंगे जो इन भावों पर रिलायंस को खरीदने का जोश दिखायेंगे। लेकिन काफी तकनीकी विश्लेषकों के नजरिये से रिलायंस में अब जाकर सालों बाद खरीदने लायक स्थिति बनी होगी।
पिछले साल मई और जून में रिलायंस करीब 673 रुपये तक फिसला था। उसके मुकाबले कल सोमवार का इसका ऊपरी स्तर 955 का है। इस तरह करीब 7-8 महीनों में इसने करीब 42% की उछाल दिखा दी है। लेकिन जून से अब तक के सफर में मुझे ऐसा कहने वाले लोग कम मिले कि रिलायंस को खरीद लेना चाहिए। जो लोग इसके बारे में सकारात्मक भी सोचते थे, उनकी राय यह होती थी कि अब इसमें गिरावट की ज्यादा संभावना ज्यादा नहीं है, लेकिन खरीदने का समय नहीं आया है। इस 42% की चाल में अगर किसी ने निवेशकों को आधी चाल भी पकड़ लेने में मदद की हो, तो सोचिए उसने कितना भला किया होता!
राग बाजारी के नियमित पाठक समझ रहे होंगे कि आगे मैं जरा अपनी पीठ थपथपाने वाला हूँ! लेकिन मैंने ऐसा कब किया? मेरी आदत तो बस किसी पुराने लेख की कुछ पंक्तियाँ वापस कॉपी-पेस्ट करके आपके सामने रख देने की है। इस बार भी वही करूँगा। देखिए 3 अगस्त 2012 को क्या लिखा था – “अभी 725 के आसपास एक सहारा है। उसके नीचे जुलाई की तलहटी 707 पर सहारे की उम्मीद रहेगी और वह स्तर टूटा तो 673 पर नजर होगी। अभी तक तो मुझे ऐसा लग रहा है कि 673 का स्तर रिलायंस के लिए एक मजबूत सहारा बन चुका है। अगर रिलायंस में किसी वजह से दबाव उभरा तो अगली बड़ी तलहटी शायद इसके थोड़ा ऊपर या थोड़ा नीचे ही बने। इस स्तर को रिलायंस बड़े अंतर से तोड़े, इसकी संभावना मुझे कम लगती है।”
जब यह लिखा था तो उस समय पिछले दिन का बंद स्तर 740 का था। तब से आज तक रिलायंस ने 730 से नीचे का भाव भी नहीं देखा है।
मैंने 3 अगस्त 2012 को यह भी लिखा था कि “अगर लंबी अवधि के लिए रिलायंस की दिशा अभी न भी बदले तो 673 पर बनी से एक बड़ी वापस उछाल भी इसे 860-880 के स्तर ले जा सकती है।” यहाँ यह भी याद दिला दूँ कि रिलायंस ने 882 का भाव 17 सितंबर 2012 को ही छू लिया था।
तब मैंने 860-880 के जिस लक्ष्य की बात कही थी, उस दायरे में रिलायंस को कई महीनों तक बाधा मिलती रही। सितंबर 2012 में यह 882 पर रुका। अक्टूबर 2012 में यह 862 के ऊपरी स्तर से पलटा। दिसंबर 2012 में यह इससे कुछ नीचे 850 तक चढ़ पाया। अभी ताजा उछाल से पहले जनवरी 2013 में यह 871 पर अटका था।
लेकिन पिछले 3 सत्रों से इसने स्पष्ट रूप से इस दायरे को तोड़ दिया है। ऐसे में एक नयी चाल की बात करना वाजिब है। मुझे ताज्जुब नहीं होगा अगर रिलायंस इसी चाल में 1000 रुपये का स्तर छू ले। लेकिन अगर यह ऊपर चढ़ने के बदले 900 के नीचे फिसलने लगे तो एक ठीक-ठाक मुनाफावसूली की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अगर ऐसी कोई मुनाफावसूली आये और उसमें रिलायंस 850 के आसपास मिल जाये तो वह नयी खरीदारी का एक मुनासिब समय हो सकता है। मुझे नहीं लगता कि आने वाले समय में अब रिलायंस 830 से नीचे जाने वाला है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 22 जनवरी 2013)

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