अविनाश गोरक्षकर
रिसर्च प्रमुख, मनीलिशियस
एफआईआई की बिकवाली, रुपये की कमजोरी और डॉलर की मजबूती, कच्चे तेल की उच्च कीमतें और वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में कंपनियों की आमदनी में सुस्ती की आशंका भारतीय बाजार की मुख्य चिंताएँ हैं।
लेकिन गिरती ब्याज दरों के कारण डेब्ट के मुकाबले इक्विटी सर्वश्रेष्ठ संपदा श्रेणी बनी रहेगी। निम्न महँगाई दर बाजार के लिए अच्छी है। निचली ब्याज दरों से वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनियों के लाभ को समर्थन मिलने की उम्मीद है। सभी क्षेत्रों में मूल्याँकन सस्ते और आकर्षक हो गये हैं। भारतीय पूँजी बाजार दीर्घावधि में सकारात्मक रहेगा। लेकिन अल्पावधि में, खास कर 2017 की पहली छमाही तक चुनौतियाँ बनी रहेंगी। मगर निवेश शुरू करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है, जब दिग्गज शेयरों और अच्छी गुणवत्ता वाले मँझोले शेयरों का पोर्टफोलिओ बनाया जा सकता है। (शेयर मंथन, 04 जनवरी 2017)