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तीसरी तिमाही में विनिर्माण में गिरावट की संभावना - फिक्की सर्वेक्षण

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के नये "फिक्की विनिर्माण सर्वेक्षण" में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2017) के दौरान विनिर्माण में थोड़ी गिरावट की संभवना जतायी गयी है।

फिक्की के ताजा सर्वेक्षण में 12 मुख्य क्षेत्र शामिल किये गये, जिनमें ऑटो, कैपिटल गुड्स, सीमेंट और मृत्तिका-शिल्प, केमिकल और फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स, खाद्य उत्पाद, चमड़ा और जूते, मशीन टूल्स, धातू और धातू उत्पाद, कागज उत्पाद, वस्त्र तथा वस्त्र मशीनरी शामिल हैं। सर्वेक्षण में 310 से अधिक बड़ी, मध्यम तथा छोटी विनिर्माण इकाइयों से प्रतिक्रियाएँ ली गयीं, जिनका कुल व्यापार 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। सर्वेक्षण के दौरान अधिक विनिर्माण की संभवना वालों की संख्या तिमाही दर तिमाही आधार पर 50% से घट कर से 47% रह गयी। हालाँकि इस दौरान कम विनिर्माण के पक्ष वालों की संख्या भी तिमाही आधार पर 18% से घट कर 15% रही। कम विनिर्माण के लिए कई अन्य कारक हैं, जिनमें रुपये की मूल्य वृद्धि का निर्यात पर पड़ा प्रभाव, जीएसटी लागू करने से संबंधित कई मामले और कई क्षेत्रों में मंदी हुई माँग शामिल हैं।
फिक्की सर्वेक्षण में सामने आया है कि कुल मिलाकर विनिर्माण में खपत क्षमता कम रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में करीब 75% औसत क्षमता उपयोग रहा, जबकि जुलाई-सितंबर 2017 में सर्वेक्षण के दौरान 73% उत्तर देने वालों ने अगले 6 महीनों तक अपनी विनिर्माण क्षमता न बढ़ाने की बात कही। विनिर्माण क्षमता न बढ़ाये जाने के भी कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें बढ़ता आयात, अतिरिक्त क्षमताएँ, औद्योगिक क्षेत्र से कम घरेलू माँग, कच्चे माल की अधिक लागत और उच्च ब्याज दर शामिल हैं। कुल मिलाकर, कुछ क्षेत्रों (जैसे कि केमिकल, खाद्य उत्पादों, वस्त्र, वस्त्र मशीनरी, चमड़ा और जूते, धातु, धातु उत्पाद, सीमेंट और मशीन टूल्स) में औसत क्षमता उपयोग या तो समान रहा या 2017-18 की दूसरी तिमाही में घटा।
इसके अलावा फिक्की सर्वेक्षण में इन्वेंट्री को लेकर भी कमी आय़ी है। पिछली दो तिमाहियों (जुलाई-सितंबर 2017 से पहले) में 92% के मुकाबले जुलाई-सितंबर 2017 में 90% प्रतिभागियों ने इन्वेंट्री के अधिक या समान स्तर की बात कही। वहीं निर्यात के मामले में 48% ने कोई बदलाव न आने की संभवना जतायी, जबकि 32% को इसमें गिरावट की संभावना लगी। दरअसल रुपये की मूल्य वृद्धि से निर्यात पर उल्टा प्रभाव पड़ा है। विनिर्माणकर्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली औसत ब्याज दर बेशक थोड़ी गिरावट के साथ 10,5% पर आ गयी है, मगर अधिकतम दर अभी भी 15% है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा। फिक्की सर्वेक्षण में तीसरी तिमाही के दौरान ऑटो, कैपिटल गुड्स, धातू तथा धातू उत्पाद में उच्च विकास और केमिकल और फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स, मशीन टूल्स और कपड़ा मशीनरी में मध्यम विकास की उम्मीद है। वहीं सीमेंट और मिट्टी उत्पादों, खाद्य उत्पाद, चमड़ा और जूते, कपड़ा और तकनीकी वस्त्र जैसे क्षेत्रों में कम विकास की संभवनाएँ हैं। (शेयर मंथन, 19 दिसंबर 2017)

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