सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन (Aviation) कंपनी एयर इंडिया (Air India) के खटाई में पड़े विनिवेश (Disinvestment) पर देश के दिग्गज उद्योगपति और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने कहा है कि सरकार इस कंपनी को बेचने के बजाय इसका कायाकल्प करने पर ध्यान देकर लोगों की धारणा बदल सकती है।
गौरतलब है कि गुरुवार को शाम पाँच बजे तक खुली रही एयर इंडिया की विनिवेश निविदा में किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखायी। इसके साथ ही भारी कर्ज के बोझ तले कराह रही इस विमानन कंपनी के विनिवेश की सरकार की महत्वाकांक्षा योजना भी खटाई में पड़ गयी।
महिंद्रा की नसीहत
ट्विटर के अलावा अन्य सार्वजनिक मंचों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए मशहूर महिंद्रा ने कहा कि अगर सरकार एयर इंडिया के मुखिया को आजादी के साथ काम करने की गुंजाइश दे तो इस कंपनी की कायापलट हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संकट को अवसर की तरह लेना चाहिए। महिंद्रा के मुताबिक एयर इंडिया को कुछ कड़े कदमों की दरकार है।
नहीं मिला खरीदार
अपार संभावनाओं वाली एयर इंडिया के लिए किसी खरीदार का सामने न आना इसकी व्यथा की कहानी ही बयान करता है। इसका अंदाजा पूर्व नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू के उस बयान से ही लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने एयर इंडिया के लिए खरीदार तलाशने की बाबत कहा था कि इस कंपनी के लिए बकरा तलाशना मुश्किल है। हालाँकि सरकार द्वारा विनिवेश के एलान के बाद बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ आयी थीं और टाटा समूह से लेकर इंडिगो जैसी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी भी दिखायी थी, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पायी। वहीं सरकार ने भी कंपनी के लिए बुलायी गयी निविदा को आगे न बढ़ा कर संकेत दिये कि चुनावी साल में वह कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती। एयर इंडिया के पास विमानों का बड़ा बेड़ा, प्रमुख मार्गों पर उड़ानों का संचालन और कई लुभावनी परिसंपत्तियाँ हैं, लेकिन उसके बहीखाते में दर्ज 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का बोझ और ढुलमुल रवैया डरावनी तस्वीर पेश करता है। (शेयर मंथन, 02 जून 2018)