बी. प्रसन्न, प्रमुख - ग्लोबल मार्केट ग्रुप, आईसीआईसीआई बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का यह फैसला समझदारी भरा और सराहनीय है।
यह अपने रुख को लचीला रखने में सफल रही है, ताकि यह विकास को समर्थन देते हुए भी महँगाई दर ऊपर जाने की संभावना पर नजर बनाये रख सके। कारण यह है कि कच्चे तेल और खाद्य की बढ़ती कीमतों से महँगाई बढ़ने की आशंका बनती है।
2019-20 के लिए खुदरा महँगाई दर के अनुमानों में काफी कमी आने और 2020-21 तक नरम महँगाई दर बनी रहने की आशा के साथ-साथ 2019-20 के लिए विकास दर अनुमान कम होने से एमपीसी के लिए जरूरत होने पर विकास को सहारा देने की और अधिक गुंजाइश बनती है। अगर महँगाई दर और विकास दर के आने वाले आँकड़े नीचे की ओर फिर से चौंकायेंगे तो हम भविष्य में फिर से ब्याज दर में कटौती देख सकते हैं।
हालाँकि यह आश्चर्यजनक रहा कि एमपीसी ने तरलता प्रबंधन (लिक्विडिटी मैनेजमेंट) पर अधिक सक्रिय नहीं होने का फैसला किया। (शेयर मंथन, 04 अप्रैल 2019)