रजनीश कुमार, चेयरमैन, भारतीय स्टेट बैंक
आरबीआई ने रेपो दर में 0.25% अंक (25 बीपीएस) की कटौती का जो फैसला किया है, वह बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप ही है।
जीडीपी और महँगाई दर के अनुमानों को घटाये जाने से निकट भविष्य में वैश्विक बाधाओं का पता चलता है। आशा से कम बारिश के चलते भी अनिश्चितताएँ बढ़ सकती हैं।
एलसीआर की गणना के लिए 2% अतिरिक्त सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) को स्टैच्युटरी लिक्विडिटी रेश्यो (एसएलआर) के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति बैंकों के लिए स्वागत-योग्य कदम है। इससे वे अतिरिक्त नकदी (लिक्विडिटी) उपलब्ध करा सकेंगे। सेकेंडरी कॉर्पोरेट ऋण बाजार के विकास और हाउसिंग फाइनेंस सिक्योरिटाइजेशन की संभावनाएँ टटोलने का फैसला भी सही समय पर किया गया है। इससे बाजार में मौजूद खिलाड़ियों को अपनी जोखिम क्षमताओं के अनुरूप बेहतर मूल्य निर्धारण की सहूलियत मिलेगी। (शेयर मंथन, 04 अप्रैल 2019)