भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने लगातार तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में अपनी ब्याज दरों में कटौती कर दी है।
वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर में 0.25% अंक की कटौती की। अब रेपो दर घट कर 5.75% पर आ गयी है, जो जुलाई 2010 के बाद इसका सबसे निचला स्तर है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपना रुख भी ''उदासीन से बदल कर 'उदार' कर दिया है। समिति ने 6:4 के बहुमत से यह फैसला लिया। एमपीसी ने कैश रिजर्व अनुपात को 4% पर ही बरकरार रखा है। रेपो दर वह दर है जिस पर विभिन्न बैंक आरबीआई से बहुत छोटी अवधि के ऋण लेते हैं।
इसके अलावा एलएएफ (तरलता समायोजन सुविधा) के तहत रिवर्स रेपो दर को भी 25 आधार अंक घटा कर 5.50% और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर को 6.0% कर दिया गया है।
रिवर्स रेपो दर वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो दर बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। (शेयर मंथन, 06 जून 2019)