कारोबारी साल 2019-20 की दूसरी तिमाही में जीडीपी (GDP) के कमजोर आँकड़ों पर उद्योग जगत ने चिंता तो जतायी है, लेकिन इसे अनपेक्षित नहीं बताया है।
प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) के अध्यक्ष संदीप सोमानी (Sandip Somany) ने कहा, "आर्थिक गतिविधियों के कई अग्रणी संकेतकों (लीड इंडिकेटर) से कमजोरी के संकेत मिल रहे थे। निजी खपत और निवेश माँग में कमजोरी बनी हुई है, हालाँकि हाल के त्योहारी मौसम में इसमें कुछ सुधार देखने को मिला था।"
सोमानी ने आगे कहा कि "सरकार ने हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था (Economy) में अधिक ऊर्जा लाने के लिए उपायों की एक श्रृंखला चलायी है और हमें आशा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थितियाँ सुधरेंगी। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी मजबूती कायम है, लेकिन हमें धीमे विकास की इस अवधि में कुछ साहसिक सुधारों वाले कदम उठाने होंगे, जैसा बीते कुछ समय में किया गया है। उतना ही महत्वपूर्ण यह है कि ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाया जाये, जहाँ लोगों की आय बढ़ाने वाले अधिक उपाय करने की जरूरत है। ऐसा करने से माँग में तेजी आयेगी।"
सोमानी कहते हैं, "सरकार और आरबीआई के लिए आने वाले महीनों में एकमात्र एजेंडा अर्थव्यवस्था में सुधार लाना होना चाहिए। हम सरकार से और अधिक प्रोत्साहनों एवं चक्रीय धीमेपन को पलटने वाले उपायों की आशा करते हैं। वहीं केंद्रीय बैंक (RBI) को मौद्रिक नीति (monetary policy) में और ढील देनी चाहिए। इसके अलावा, आवासीय क्षेत्र एवं रियल एस्टेट, एनबीएफसी, टेलीकॉम और ऑटो जैसे क्षेत्रों में आयी अड़चनों को खत्म करने वाले कुछ मजबूत उपायों की जरूरत है। हमें आशा है कि कुछ और उपायों की घोषणा जल्द-से-जल्द होगी।" (शेयर मंथन, 29 नवंबर 2019)