
इंडसइंड बैंक की परेशानियाँ बढ़ गयी हैं, क्योंकि उसने अपने डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में 1,580 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा किया है। ये रकम बैंक की कुल संपत्ति का 2.35% हो सकती है। ये समस्या सितंबर-अक्टूबर 2024 के बीच सामने आई है।
एनालिस्ट कॉल में बात आई सामने
बैंक ने अपने एक एनालिस्ट कॉल में गड़बडियों की जानकारी दी। बैंक ने कहा कि उसे फॉरेन एक्सचेंज डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में कुछ गड़बड़ियां मिली हैं जो बीते 7-8 सालों के लेन-देन से जुड़ी हैं। अक्टूबर 2024 में बैंक ने डेरिवेटिव ट्रेड बुक के आंतरिक ऑडिट में पाया कि वित्त वर्ष 24 और उससे पहले के फॉरेन करेंसी डिपॉजिट और उधार से जुड़ी गड़बड़ियाँ हैं।
नुकसान का अंदाज लगाना मुश्किल
इस मामले पर ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये कहना मुश्किल है कि कितना वित्तीय नुकसान हुआ है। बैंक जो दावा कर रहा है वास्तविकता में नुकसान उससे अधिक हो सकता है। अभी बैंक की गलतियों के कारण 2100 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।
क्या कहता है बैंक का प्रबंधन?
इस गड़बड़ी के बाद बैंक का प्रबंधन भी सामने आया। मैनेजमेंट की तरफ से कहा गया है कि इस गड़बड़ी का पूरा असर मार्च-अप्रैल 2025 तक साफ होगा।
कम नहीं हो रही बैंक की मुसीबत
बैंक पिछले कुछ सालों से कई मुश्किलों का सामना कर रहा है। मई 2021 में इसकी माइक्रोफाइनेंस शाखा में तकनीकी खामी के कारण 84,000 अनिधकृत लोन बांट दिये गये थे। इसी साल जनवरी 2025 में बैंक के सीएफओ गोबिंद जैन ने इस्तीफा दे दिया। 7 मार्च को आरबीआई ने सीईओ सुमंत कथपालिया का कार्यकाल तीन साल की जगह सिर्फ एक साल के लिए मंजूर किया। अब 10 मार्च को सामने आए इस डेरिवेटिव्स मामले ने बैंक की गवर्नेंस और आंतरिक नियंत्रण को लेकर चिंतायें बढ़ा दी हैं।
(शेयर मंथन, 20 मार्च 2025)
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