रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई के अध्यक्ष (दिल्ली-एनसीआर) और आम्रपाली समूह के चेयरमैन अनिल कुमार शर्मा ने शेयर मंथन से बातचीत में कहा कि क्रेडाई से जुड़ी कंपनियाँ प्री-लांच बंद कर रही हैं। क्रेडाई के सदस्य इसके लिए तैयार हैं और हम सारे डेवलपरों को इसके लिए कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने जब क्रेडाई की प्रदर्शनी लगायी तो उसमें शर्त लगायी कि परियोजना को मंजूरी मिली होनी चाहिए, प्री-लांच नहीं हो।
हालाँकि शर्मा यह मानते हैं कि क्रेडाई इस रोक को नहीं मानने वाले किसी डेवलपर पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। उनका कहना है कि हम स्व-नियमन का प्रयास कर रहे हैं। एक अनुशासन बने, इसके लिए हम क्रेडाई को इस तरह मजबूत करना चाहते हैं कि क्रेडाई से हटने के नुकसान के बारे में किसी डेवलपर को सोचना पड़े।
उन्होंने बताया कि क्रेडाई ने पारदर्शिता अभियान (मिशन ट्रांसपैरेंसी) शुरू किया है। साथ ही इसने ग्राहकों की शिकायतें दूर करने का फोरम बनाया है और ग्राहकों की जागरूकता बढ़ाने का अभियान शुरू करने का फैसला किया है।
अपने पारदर्शिता अभियान के तहत क्रेडाई इस बात पर जोर देगा कि डेवलपर को सारी जानकारियाँ ग्राहकों को देनी होंगी, चाहे वह उसकी वेबसाइट के जरिये हो या किसी और तरीके से हो। डॉ. शर्मा बताते हैं कि पहले ग्राहकों को सुपर एरिया बताया जाता था, लेकिन उसके बदले अब सेलेबल एरिया यानी बिक्री योग्य क्षेत्र बताना होगा। सेलेबल एरिया में बिल्टअप एरिया और साथ में कुछ कॉमन एरिया को जोड़ा जाता है। यह सुपर एरिया की तरह नहीं है। हमारा कहना है कि आप केवल उतना क्षेत्र बताइये जो आप ग्राहक को बेच रहे हैं और उनको समझाइये कि उसकी गणना कैसे की गयी है। उसमें कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए।
इसके अलावा निर्माता और ग्राहक के बीच होने वाले समझौते का मानक रूप इस्तेमाल हो, इस पर भी क्रेडाई जोर दे रहा है। दरअसल भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने इस संबंध में एक मानक प्रारूप बनाया है, ताकि समझौते में दोनों पक्षों के हितों का ध्यान रखा जाये। डॉ. शर्मा कहते हैं कि लगभग सारे डेवलपर अब उसके हिसाब से चल रहे हैं। उनका मानना है कि दोनों पक्षों का ध्यान रखने के लिए जहाँ निर्माण में देरी होने पर जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए, वहीं ग्राहक से पैसे समय पर न मिलने की स्थिति में ब्याज लगाने का भी प्रावधान होना चाहिए। पारदर्शिता अभियान के तहत ग्राहकों को इस बारे में भी जागरूक करने की कोशिश होगी कि उन्हें डेवलपर से हासिल की जाने वाली तमाम जानकारियों के बारे में पता रहे। डॉ. शर्मा कहते हैं कि ग्राहक जितने ज्यादा जागरूक होंगे, शिकायतों की संख्या उतनी ही घटेगी क्योंकि वे ठोक-बजा कर ही संपत्ति खरीदेंगे। उन्होंने बताया कि क्रेडाई ने अपने सदस्यों से एक आचार-संहिता पर हस्ताक्षर कराये हैं।
ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे में क्रेडाई की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि ग्राहकों के लिए यह ऐसा मंच है, जहाँ वे अपनी बात कह सकते हैं। उनके मुताबिक, “सारे ग्राहक नहीं चाहते कि वे अदालत या उपभोक्ता अदालत के चक्कर लगायें। हमारे फोरम में अगर किसी ग्राहक ने ईमेल भी कर दिया तो हम उस पर ध्यान देंगे। लेकिन किसी सरकारी दफ्तर में आप ईमेल करें तो शायद ही आपकी बात सुनी जायेगी। हम यह सोच रहे हैं कि हर डेवलपर के यहाँ क्रेडाई का एक सेल बना रहे, जो क्रेडाई के दफ्तर से जुड़ा रहे। यह सेल क्रेडाई के पास ग्राहकों से आने वाली शिकायतों के लिए संपर्क-बिंदु का काम करेगा।” (शेयर मंथन, 29 अप्रैल 2013)