
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में रेपो दर में लगातार दूसरी बार 25 आधार अंकों की कटौती करने का फैसला और नीतिगत रुख में बदलाव कर उदार रुख अपनाया है। ईवाई इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव ने आरबीआई के मौद्रिक नीति घोषणाओं पर कहा कि आरबीआई द्वारा लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती और रुख में बदलाव कर इसे उदार बनाना भारत की जीडीपी वृद्धि की संभावनाओं की रक्षा करने की उसकी इच्छा को दर्शाता है, जिससे वह सुनिश्चित करना चाहता है कि वैश्विक टैरिफ उथल-पुथल के बावजूद ये 6.5% से नीचे न गिरे। आरबीआई मानता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं का भारत की विकास संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
हालाँकि, पर्याप्त तरलता प्रबंधन से समर्थित समय-समय पर दिया जाने वाला मौद्रिक प्रोत्साहन और मजबूत कृषि संभावनाओं सहित स्वस्थ घरेलू आर्थिक परिस्थितियाँ वैश्विक विकास में मंदी के हालात में भी भारत को उचित रूप से उच्च जीडीपी वृद्धि बनाये रखने में मदद करेगा।
उम्मीद है कि आरबीआई अगले तीन दौर में 25 आधार अंकों की सिलसिलेवार कमी करके रेपो दर को 5.25% तक लाकर कटौती का दौर जारी रखेगा। आरबीआई ने कई अन्य मुद्राओं के संभावित मूल्यह्रास के बावजूद 2025-26 के लिए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया औसतन 86 रुपये की विनिमय दर रहने का संकेत दिया है।
भारत में विकास और मुद्रास्फीति दोनों की संभावनाओं को वैश्विक कच्चे तेल के दाम में गिरावट से मदद मिलेगी, जिससे भारत में लागत कम होगी और ये अपेक्षाकृत अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य बन जायेगा। राजस्व अधिकारियों को अब बुनियादी ढाँचे में निवेश जारी रखते हुए पूरक प्रोत्साहन सुनिश्चित करना चाहिए।'
(शेयर मंथन, 09 अप्रैल 2025)
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