कॉटन वायदा (अगस्त) की कीमतों की तेजी पर रोक लग सकती हैं और 21,350 रुपये के नजदीक बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
लेकिन कम आपूर्ति के सीजन में प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों, विशेष रूप से दक्षिणी क्षेत्रों, से सीमित आपूर्ति के कारण कीमतों में तेज गिरावट की संभावना नहीं है। इसके अलावा भारी बारिश के कारण परिवहन संबंधी समस्या से भी बाजारों में कपास की कमी हुई है। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र में गुलाबी कीटों के प्रकोप के कारण भी कीमतों में तेजी का रुझान देखा जा सकता है। वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिका कपास वायदा की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट की कीमतें 0.26% की बढ़त के साथ 57.97 सेंट पर पहुँच गयी है। यूएसडीए के अनुसार अमेरिका की 43% कपास की फसल अच्छी से बेहतर स्थिति में है, जो पिछले हफ्ते की तुलना में 6% कम है।
चना वायदा (सितंबर) में जवाबी खरीद होने की संभावना है और कीमतें 4,000 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 4,050-4,070 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। नाफेड ने चना की बिक्री के लिए सभी कारोबारियों के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है, जिससे बाजार में यह अटकले हैं कि सरकारी एजेंसी बाजारों दरों पर चना की बिक्री करेगी। कारोबारियों ने निलामी के तहत अधिकतम 4,000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम पर खरीद का प्रस्ताव रखा था जो मौजूदा बाजार दर और नाफेड की उम्मीद से कम है।
कैस्टरसीड वायदा (सितंबर) की कीमतों को 5,800 रुपये के स्तर पर अड़चन रहने की संभावना है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गुजरात में अरंडी की बुआई अगस्त के अंत और सितंबर में होगी। किसान आमतौर पर सीजन में अरंडी की बुवाई अपेक्षाकृत देर से करते हैं। (शेयर मंथन, 28 अगस्त 2019)
चना वायदा (सितंबर) में जवाबी खरीद होने की संभावना है और कीमतें 4,000 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 4,050-4,070 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। नाफेड ने चना की बिक्री के लिए सभी कारोबारियों के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है, जिससे बाजार में यह अटकले हैं कि सरकारी एजेंसी बाजारों दरों पर चना की बिक्री करेगी। कारोबारियों ने निलामी के तहत अधिकतम 4,000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम पर खरीद का प्रस्ताव रखा था जो मौजूदा बाजार दर और नाफेड की उम्मीद से कम है।
कैस्टरसीड वायदा (सितंबर) की कीमतों को 5,800 रुपये के स्तर पर अड़चन रहने की संभावना है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गुजरात में अरंडी की बुआई अगस्त के अंत और सितंबर में होगी। किसान आमतौर पर सीजन में अरंडी की बुवाई अपेक्षाकृत देर से करते हैं। (शेयर मंथन, 28 अगस्त 2019)
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