कमजोर फंडामेंटल के कारण बाजार में नरमी के सेटीमेंट से हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 5,490-5,560 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है और कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है।
महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस सप्ताह नयी फसलों की कटाई शुरू होने की उम्मीद है। इस सीजन में हल्दी का उत्पादन 60-90 लाख बैग (60 किग्रा का एक बैग) होने की संभावना है और इसके अलावा 45 लाख बैग कैरी ओवर स्टॉक भी रहने का अनुमान है, जिससे हल्दी का कुल भंडार 1 करोड़ से अधिक बैग हो जाता है। आने वाले दिनों में, यह बाजार के लिए और कीमतों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। माँग को देखें तो, मध्य-पूर्व, अमेरिका, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया से ऑर्डर में गिरावट हुई है।
जीरे वायदा (दिसंबर) की कीमतों का रुझान नरमी का हो गया है और कीमतों में 13,700-13,600 रुपये तक गिरावट हो सकती है। गुजरात में रबी की खेती की रफ्तार तेज हो गयी है और जीरा किसानों की पसंदीदा फसल है। अभी तक जीरे की खेती 1.68 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो सामान्य 4.06 लाख हेक्टेयर का लगभग 41 प्रतिशत है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों को 6,490 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है। तमिलनाडु और केरल के मसाला निर्माताओं ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की है, जबकि स्थानीय खरीद में भी कमी है। राजस्थान और दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों ने हाजिर बाजार में धनिया के कारोबार को प्रभावित किया है। इस बीच उत्पादक क्षेत्रों में धनिया की खेती में वृद्धि की खबर है, जिसमें आगे भी बढ़ने की संभावना है। यहाँ तक कि जिन स्टॉकिस्टों को दीवाली के बाद धनिया की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, अब अपने स्टॉक को बेचना शुरू कर दिया है। खरीदारों की कमी के कारण राजस्थान के कोटा और रामगंज मंडियों में हो रही धनिया की अधिक आवक की नीलामी नहीं हो पा रही है। (शेयर मंथन, 01 दिसंबर 2020)
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