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नयी फसल की आवक से हल्दी की कीमतों में वृद्धि की संभावना - एसएमसी

हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 8,800-8,700 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है।

नयी हल्दी की आवक और माँग में वृद्धि के कारण रेगुलेटेड बाजारों में हल्दी की कीमत 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गयी है। 2020 में देश भर में खेती का क्षेत्र 20% कम हो गया है, जबकि 2021 में अच्छी माँग है। इस बार, पिछले महीने की तुलना में कीमत में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। नयी हल्दी 10,500 रुपये प्रति क्विंटल में बेची जा रही है जबकि पुराना स्टॉक 10,000 रुपये में बेचा जा रहा है। निजामाबाद से इरोड तक हल्दी की आवक 30 प्रतिशत तक कम हो गयी है और तमिलनाडु में हल्दी की खेती कम हुई है। इसके अलावा, जब से प्रतिकूल मौसम की वजह से महाराष्ट्र के नांदेड़ और बसमतनगर में उत्पादन कम हुआ है, तमिलनाडु में उत्पादित हल्दी की माँग बढ़ गयी है।

जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 13,955-14,155 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। व्यापारियों को स्थानीय स्टॉकिस्टों, मसाला मिलों और निर्यातकों की ओर से लगातार माँग की उम्मीद है। वे यह भी ध्यान दे रहे हैं कि कुल मिलाकर माँग की संभावना अच्छी है। राजकोट में ही, पिछले एक सप्ताह में जीरा की दरों में 85-95 रुपये प्रति 20 किलोग्राम की वृद्धि हुई है। बढ़ती आवक के बावजूद मजबूत त्योहारी माँग के बीच ऊंझा मंडी में हाजिर कीमतें स्थिर हैं।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 6,800-6,700 रुपये तक गिरावट हो सकती है। घरेलू व्यापारियों द्वारा सावधानी बरतने के कारण धनिया की नयी कीमतों पर दबाव जारी है। राजस्थान के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में 38,000 बैग (1 बैग=45 किलो) की आवक हुई है। रामगंज में, बादामी और ईगल किस्मों की कीमतें क्रमशः 6,700 रुपये प्रति 100 किलोग्राम और 7,000 रुपये थी, दोनों पिछले दिन से 100 रुपये कम हैं। बाजार दक्षिण भारतीय मिलों और निर्यातकों द्वारा की जा रही खरीद पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। स्टाकिस्टों द्वारा सुस्त खरीदारी के कारण भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 09 मार्च 2021)

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