कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतें 21,750 रुपये के पास सहारा के साथ यह 22,500 रुपये के स्तर तक बढ़ सकती है।
इसका सबसे पहला कारण हैं कि अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति ने 2020-21 में वैश्विक स्तर पर खपत अनुमानों को पिछले वर्ष में 22.8 मिलियन टन के मुकाबले बढ़ाकर 24.5 मिलियन टन कर दिया है। दूसरी बात यह है कि पिछले एक महीने में चीन और बांग्लादेश की ओर से माँग में बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर से शुरू होने वाले पफसल वर्ष 2020-21 में भारत से कपास का निर्यात इस साल 50 प्रतिशत बढ़कर 75 लाख बेल हो जाने की संभावना है।
ग्वारसीड (अप्रैल) की कीमतों को 3,940 रुपये के पास सहारा रह सकता है और कीमतें 3,950-4,000 रुपये बढ़ सकती है, जबकि ग्वारगम (अप्रैल) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 6,000-6,300 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में तेजी के कारण ग्वारगम समूह की कीमतों को मदद मिल रही है। ओपेक कार्टेल और संबद्ध देशों की पिछले हफ्ते हुई बैठक में महामारी को लेकर सावधानी बरती गयी, और उन्होंने कोरोना वायरस प्रतिबंध के कारण अभी भी कच्चे तेल की माँग में कमी की चिंता के बीच अपने अधिकांश उत्पादन कटौती को छोड़ दिया। अमेरिकी कच्चा तेल कॉन्टैंक्ट, जो पिछले साल व्यवसायों पर प्रतिबंधन के कारण ऊर्जा की विनाशकारी माँग के चलते शून्य से नीचे गिर गया था, अब 64 डॉलर प्रति बैरल से अधिक के स्तर पर पहुँच गया है।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों में इस सप्ताह तेजी रह सकती है और कीमतें 5,200-5,250 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है और इसलिए कीमतों में किसी भी गिरावट पर खरीदारी का अवसर माना जा सकता है। दालों के कम भंडार और डॉलर चना में तेजी के रुख और होली के त्यौहार से पहले मजबूत माँग के कारण सेंटीमें काफी बेहतर हो गया है। मध्य प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों से बाजारों में ताजा फसलों की आवक में कथित तौर पर देरी से और होरेका सेगमेंट की बढ़ती माँग के कारण चना की कीमतों में तेजी आयी है। (शेयर मंथन, 08 मार्च 2021)
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