हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 8,400-8,800 रुपये के बड़े दायरे में कारोबार करने की संभावना है। हल्दी की कीमतें पाँच साल के उच्च स्तर पर पहुँचने के बाद राहत की साँस ली है और मुनाफा वसूली और उच्च दरों पर माँग में कमी के कारण तेजी पर रोक लग गयी है।
फिर भी पिछले सप्ताह कीमतों में गिरावट के बाद, हम निचले स्तर से फिर से कुछ खरीदारी होते हुये देख सकते हैं क्योंकि अभी भी आपूर्ति को लेकर अड़चनें हैं और स्टॉकिस्ट फिर से खरीदारी करने की प्रतीक्षा कर रहे है क्योंकि निर्यात माँग अधिक है। पिछले साल की तुलना में, बांग्लादेश, मलेशिया, सिंगापुर, खाड़ी देशों को निर्यात लगभग 40% की वृद्धि के साथ लगभग 1.60 लाख टन हुआ है। कीमतों में वृद्धि के साथ रेगुलेटेड बाजारों में ऐसी खबरें है कि तमिलनाडु और कर्नाटक के किसानों की भीड़ इरोड में जमा हो रही है।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतें 13,350-14,550 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है और कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। राजस्थान और गुजरात में कम उत्पादन और पैदावार के कारण 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में भारत में जीरा का उत्पादन 11% घटकर 4,78,520 टन हो सकता है। चालू सीजन में जीरा की पैदावार 504 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो एक साल पहले 522 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 7,100 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 6,800 रुपये तक गिरावट हो सकती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में धनिया उत्पादन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में 2.3% बढ़कर 391,740 टन होने की संभावना है। आँकड़ों के अनुसार, मौजूदा 2020-21 सीजन में धनिया के अंतर्गत आने वाला कुल क्षेत्र 303,890 हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.2% अधिक है। चालू सीजन में धनिया की पैदावार 1,289 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही है, जो एक साल पहले 1,275 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। नयी फसल की हाजिर बाजारों में आवक शुरू हो गयी है। (शेयर मंथन, 15 मार्च 2021)
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