कॉटन वायदा (नवंबर) की कीमतों में एक हफ्ते के निचले स्तर पर गिरावट हुई लेकिन बाद में कीमतें सपाट बंद हुई।
उम्मीद है कि कीमतें 32,850 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 32,000 रुपये तक लुढ़क सकती है। अधिक कीमतों पर मिलों की ओर से खरीदारी कम हो रही है। इसके अलावा, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण कपास की फसल क्षतिग्रस्त हो गयी, जिससे गुणवत्ता और नयी फसल की आवक प्रभावित हुई है। सीसीआई ने पिछले सप्ताह में कपास की बिक्री के लिए अपनी दरों में 1,500 रुपये प्रति कैंडी की वृद्धि की है जबकि इसके पिछले दो सप्ताह में 4,500 रुपये प्रति कैंडी की वृद्धि की थी। हाल ही में, सीएआई ने 2020-21 में कपास के अपने अंतिम अनुमान को पिछले वर्ष की तुलना में 7.13 लाख गांठ घटाकर 360.13 लाख गांठ कर दिया है।
ग्वारसीड वायदा (दिसम्बर) की कीमतों में कल बढ़त के साथ बंद हुई है। अब कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 7,000 रुपये तक कारोबार करने की संभावना है। वर्तमान में, कम स्टॉक और लगातार निर्यात माँग के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 60% अधिक हैं। चालू सीजन में राजस्थान में ग्वारगम का रकबा पिछले साल की तुलना में लगभग 2-3 लाख हेक्टेयर कम होकर 21 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो एक दशक में सबसे कम रकबा है।
अरंडी वायदा (दिसम्बर) की कीमतों में कल बढ़ोतरी हुई है। अब कीमतें 6,510 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 6,800 रुपये के स्तर तक बढ़त दर्ज कर सकती है। अरंडी तेल और अरंडीमील की लगातार निर्यात माँग के कारण इस सीजन में कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों के लिए अरंडीमील का निर्यात पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 16% अधिक हुआ है, जबकि जुलाई-अगस्त 2021 में अरंडी का तेल निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा है। गुजरात में रकबा अच्छा होने से आने वाले सीजन में अधिक उत्पादन की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 09 नवंबर 2021)
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