शेयर मंथन में खोजें

बाजार में विश्वास का संकट, निफ्टी 9,600 तक गिरने की भी आशंका

vijay chopraविजय चोपड़ा
एमडी एवं सीईओ, इनॉक वेंचर्स
अभी बाजार में आत्मविश्वास का संकट है। भरोसा लौटाने के लिए सरकार को बहुत तेजी से कदम उठाने होंगे। अभी लोग डरे हुए हैं, जो टैक्स टेररिज्म हो रहा है, अभी कितनी बड़ी कंपनियों पर हर तरफ छापे वगैरह पड़ रहे हैं।

जो कंपनी किसी वजह से ऋण के कारण खराब स्थिति में आ गयी, आप उनके लिए कुछ तो तरीका निकालें जिससे कि वह समाधान तक पहुँचे। एसीएलटी का काम कंपनियों को खत्म करना थोड़े ही है। उसका मकसद एक अच्छा खरीदार ढूँढना है, और खरीदार तब तक सामने नहीं आयेगा, जब तक आप उसे भरोसा नहीं देंगे। अर्थव्यवस्था में जो नयी पूँजी आने की जरूरत है, वह नहीं आ रही है।
एक प्रमोटर ने मुझे बताया कि उसने एक असूचीबद्ध कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 350 करोड़ रुपये में बेच दी। मैंने उनसे पूछा कि अब भविष्य की क्या योजना है। उन्होंने कहा कि एफडी (सावधि जमा) में रखना है। मैंने अपने करियर में प्रमोटरों को एफडी की बात करते न देखा और न सुना था। लोग कह रहे हैं कि एफडी करवा के रख देते हैं, क्योंकि कुछ पता ही नहीं है, समझ ही नहीं आ रहा। एफडी में 6-7% कुछ तो पैसा आयेगा न।
व्यापार का वातावरण ठीक करने और विदेशी निवेशकों का आत्मविश्वास लौटाने के लिए सरकार को जल्दी कदम उठाने होंगे। सरकार का काम केवल कर जुटाना नहीं है, बल्कि उसकी जिम्मेदारी व्यापार के लिए सहायक बनने की भी होती है। सरकार सहायक बनने का काम करे, न सिर्फ टैक्स टेररिज्म करे। सरकारी बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये तो ऊँट के मुँह में जीरा है। एक अनिल अंबानी समूह का कर्ज भी नहीं निपटता 70,000 करोड़ रुपये में।
अभी सरकार ने राहत देने वाली जो घोषणाएँ की हैं, वे एक झटके वाली प्रतिक्रिया में हैं। अगर सरकार पहले से सक्रिय रहेगी तो अच्छा रहेगा। मगर मैं इसको सकारात्मक नजरिये से भी देखता हूँ कि आपने कुछ तो बोला। अभी तक तो सरकार मान ही नहीं रही थी, कह रही थी कि मंदी है ही नहीं। मगर सरकार के इस कदम के बाद भी बाजार में विश्वास ही नहीं है।
ऑटो क्षेत्र को संभालना जरूरी
सरकार ने पहले विद्युत वाहनों (ईवी) का हल्ला किया। अब कहती है कि ईवी की ऐसी कोई तय तारीख नहीं है। हमारे देश में बिसलेरी की बोतल भी फेंके जाने से पहले 15-20 बार फ्रिज में रख कर इस्तेमाल की जाती है, और आप यह उम्मीद कर रहे हैं कि कोई बस 2-3 साल के लिए गाड़ी ले, यह संभव नहीं है। अभी बीएस-5 वाहनों का सारा भंडार पड़ा हुआ है, ऊपर से बीएस-6 खड़ा है। भारत में तो लोग पुरानी गाड़ी बिकने की कीमत भी जरूर देखते हैं। जिस कंपनी की पुरानी गाड़ी भी अच्छे भाव पर बिकती है, उसे ही लोग खरीदते हैं। यह भारतीय सोच है। आज भी 10-15 साल के लिए गाड़ी खरीदी जाती है।
ऑटो में अभी भी यह साफ नहीं है कि बीएस-5 से बीएस-6 का क्या किया जाये। अभी ईवी थोड़ा टल गया है, मगर वह भी आयेगा जरूर। ईवी की तैयारी तो है नहीं। चार्जिंग कहाँ करेंगे? मारुति के भार्गव साहब कहते हैं कि ईवी बनाऊँगा तो वैगन आर भी 10-11 लाख रुपये की बनेगी, कौन खरीदेगा? आज की तारीख में 11 लाख रुपये में सेडान आती है। जो अच्छी तरह से स्थापित कंपनियाँ हैं, जो इतना बड़ा काम कर रही हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी को इतना सहारा देती हैं, आप उनके लिए कुछ करें न। उनके लिए पैकेज घोषित करें।
घोषणाएँ हुईं, पर काम होना जरूरी
आपने बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रा) को लेकर घोषणा की है, मगर अभी काम होते तो कहीं नहीं दिख रहा। वो काम होना बहुत जरूरी है। सरकार की तरफ से खर्चा होना बहुत जरूरी है। अभी किताबों में घोषणा होती है और किताबों में ही मर रही है। अगर वास्तव में होती तो रोजगार सृजन होता। वह रोजगार सृजन होगा तो लोगों के हाथ में पैसा आयेगा और खपत बढ़ेगी। कुछ लोग कह रहे हैं कि मॉनसून अच्छा आ गया तो अब सब बढ़िया हो जायेगा। लेकिन मॉनसून में पानी बरसता है, नोट थोड़े ही बरसते हैं!
त्यौहारी मौसम आने के चलते माँग बढ़ने की उम्मीद है, यह मान लिया। फिर भी दिमाग में संकोच बैठ जाये, कोई सोचे कि हर साल मैं त्यौहार में तीन कुर्ते-पाजामे और चार कमीजें खरीदता था, इस साल नहीं लूँगा क्योंकि नौकरी चली गयी। नौकरियाँ गयी हैं, यह बात तो सच है। रोजगार 45 सालों के निचले स्तर पर है, वह तो सरकारी आँकड़ा है।
सरकार ने जो घोषणाएँ की हैं, वे आत्मविश्वास बढ़ाने वाले कदम हैं। अब सरकार को बहुत जल्दी-जल्दी कुछ काम करने होंगे, घोषणाएँ करनी होंगी और कदम उठाने पड़ेंगे। अपने सरकारी व्यय में क्या कटौती की जा रही है, इसका भी ब्यौरा देना पड़ेगा। वास्तव में जमीनी स्तर पर जो चीजे होनी हैं, जो खर्चा होना है, 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जो कुछ करना है, वह सब कैसे होगा? आप एमएसपी बढ़ा-बढ़ा कर तो उनकी आय दोगुनी नहीं कर सकते, वह तरीका नहीं है। अगर आप यह सोचते हैं कि एमएसपी बढ़ा देंगे और किसानों में खुशहाली आ जायेगी, तो नहीं होगा।
निफ्टी के लिए 10,600 महत्वपूर्ण
शेयर बाजार अभी बहुत नाजुक स्तर पर है। अगर निफ्टी 10,600 का स्तर तोड़ता है तो फिर 10,200 और 9,600 की तैयारी रखें। अगर 10,600 का यह स्तर टूटता है तो इसके पीछे घरेलू और वैश्विक दोनों कारक होंगे। अभी दो चीजें साथ-साथ हुईं। एक तरफ भारत सरकार ने ये घोषणाएँ कीं, और उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कह दिया मैं चीन को पसंद नहीं करता और हम चीन के बगैर भी काम चला सकते हैं। इसमें नकारात्मक बात भी है और सकारात्मक भी। नकारात्मक तो आपने देख ही लिया, जो धातु (मेटल) शेयरों में हुआ। सकारात्मक यह है कि अगर अमेरिका चीन से इतनी दूरी बनाता है तो भारत के लिए एक बड़ा अवसर होगा। पर क्या भारत इतना तैयार है उस तरह से निर्यात के लिए और उस गुणवत्ता के उत्पाद बनाने के लिए, जैसे उत्पाद अमेरिका इस्तेमाल करता है? अगर चीन में देखेंगे तो एक ही कंपनी का अमेरिका के लिए संयंत्र अलग होगा और बाकी दुनिया के लिए अलग होगा। एक में अमेरिका के लिए उत्पाद बनते हैं, जो बहुत अच्छी गुणवत्ता के होते हैं। बाकी पूरी दुनिया के लिए जो नकली सामान बनता है, वह अलग है। भारत अभी विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) में इतना तैयार ही नहीं है। विनिर्माण को चीन ने किसी जमाने में जम कर समर्थन दिया, बहुत सारे कर हटाये और बहुत सारी जमीनें दीं, बहुत काम किया सरकार ने और सहारा दिया। आज भारत को भी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए सरकार को बहुत सारे कदम उठाने होंगे।
अभी निफ्टी 10,600 के नीचे जाने और 9,600 तक गिरने की संभावना 20-25% लगती है। आशा है कि बाजार संभल जायेगा। पर 9,600 की 20-25% संभावनाएँ जरूर लग रही हैं, क्योंकि वैश्विक कारक हैं। एक स्नो-बोलिंग फैक्टर होता है, जो इतना बड़ा हो जाता है कि संभाले नहीं संभलता। बाजार में जब गिरावट होती है तो लोग सब बेचना शुरू कर देते हैं। अभी तो भारतीय म्यूचुअल फंड खरीदारी कर रहे है। विदेशी निवेशकों ने 1700-1800 करोड़ रुपये की बिकवाली शुक्रवार को की है, तो जवाब में करीब 1,500 करोड़ रुपये के शेयर म्यूचुअल फंडों ने लपक लिये। समस्या तब आयेगी कि जब भारतीय म्यूचुअल फंड भी कहेंगे कि अब जो हाथ लग रहा है, जितना हम बचा सकते हैं बचा लें, तो समस्या आ जायेगी।
लेकिन अभी उसकी संभावना 20-25% है। उसकी भी कोई संख्या बताना बहुत मुश्किल होता। पर जिस तरह से मूल्यांकन हैं, 2004 के भाव आ रखे हैं नवरत्न कंपनियों के तो और क्या किया जाये! महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसा शेयर देखें, निफ्टी 50 के और शेयर देखें। आईटीसी जो किसी भी लंबी अवधि के पोर्टपोलिओ में जरूर होगा, उसका हाल देखिए। इसलिए अगर निफ्टी 11,200 के ऊपर टिकता रहे, यानी कुछ सत्रों तक इसके ऊपर टिक जाये बाजार, तो खरीदारी करनी चाहिए। (शेयर मंथन, 27 अगस्त 2019)

Add comment

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

  • 10 शेयर 10 फंड : निवेश मंथन पत्रिका (अक्टूबर 2024)

    यह एक संयोग है कि पिछले वर्ष की दीपावली के समय भी भारतीय शेयर बाजार कुछ ठंडा पड़ा था और इस साल भी बाजार में दीपावली के समय लाली ही ज्यादा बिखरी है। लेकिन पिछली दीपावली के समय जो थोड़ी निराशा बाजार में दिख रही थी, उस समय जिन निवेशकों ने सूझ-बूझ से नया निवेश किया, उन्हें अगले 1 साल में बड़ा सुंदर लाभ हुआ।

  • आईपीओ की आँधी : निवेश मंथन पत्रिका (सितंबर 2024)

    शेयर बाजार ने हाल में नये रिकॉर्ड स्तरों की ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप सभी तरह के शेयर खूब चले हैं, दौड़े हैं, कुछ तो उड़े भी हैं!

देश मंथन के आलेख

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"