टी एस हरिहर, सीनियर वीपी, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
साल 2008 में विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाओं में हर तरह की परिसंपत्तियों में बुलबुले बने। इक्विटी से ले कर कमोडिटी तक सभी परिसंपत्तियों में साल 2008 की शुरुआत में नये शिखर बने। इतिहास में साल 2008 को बाजारों के लिए सबसे बुरे सालों में से एक के तौर पर दर्ज किया जायेगा, जब दुनिया भर में तमाम परिसंपत्तियों के मूल्य 30-60% तक गिर गये।
मेरा मानना है कि साल 2007 के दूसरे हिस्से से ही बाजार में समस्याएँ नजर आने लगी थीं। लेकिन विश्व भर में निवेशक आशावादी बने रहे और इस विश्वास पर कायम रहे कि ये समस्याएँ देर तक नहीं टिकेंगी। दुर्भाग्य से जनवरी 2008 में अमेरिका में मंदी के शुरुआती संकेतों ने उस गुब्बारे की हवा निकाल दी।
बाद में साल 2008 के मध्य तक अमेरिकी सबप्राइम संकट और रियल एस्टेट क्षेत्र से निकले जहर की बातें अधिक स्पष्ट होने लगीं, जब बेयर स्टर्न्स, लेहमन और एआईजी ढह गये। फेनी मेइ फ्रेडी मैक को जनता के पैसे से मदद देनी पड़ी।
निवेशकों के लिए कुछ खास सबक
• आखिरकार बाजार बुनियादी बातों पर ही लौटते हैं। विश्व में कहीं भी कोई भी बाजार जब 18 गुना पीई अनुपात से ऊपर चला जाये, तो वह सावधान हो जाने का वक्त है।
• भविष्य के अनुमानों को यथार्थ के धरातल पर ही देखना चाहिए। आखिरकार, ठीक पिछली चार तिमाहियों की आमदनी ज्यादा तार्किक निष्कर्ष देती है।
• दो बातों पर खास ध्यान दें - कर का भुगतान और बाँटा गया लाभांश। ये ऐसी दो बातें हैं, जिन पर कोई कंपनी आपको गुमराह नहीं कर सकती। गर्म हो चुके बाजार में उन्हीं कंपनियों पर दाँव लगाना बेहतर होता है, जो अधिक कर चुकाती हैं और ऊँचे लाभांश बाँटती हैं।
• हमने यह पाठ साल 1992 में पढ़ा, फिर 2000 में और अब 2008 में। याद रखें- ‘कैश इज किंग’। जिस कारोबार में पैसा नहीं बन रहा हो, उसमें निवेशक के तौर पर रहना बेकार है। चाहे वह रिप्लेसमेंट लागत की बात हो या फिर आईबाल्स या लैंड बैंक की, यदि इनसे नकदी नहीं बन रही, तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
साल 2009 में निवेश का आधार कुछ इस तरह का होना चाहिए:
मँझोले शेयरों से बचें और अपने पोर्टफोलियो में दिग्गज शेयरों का अनुपात बढ़ायें। कोई शेयर केवल इसलिए न खरीदें कि वह अपने शिखर से 95% नीचे आ गया है। याद रखें, पिछली तेजी का नेतृत्व करने वाले शेयरों का ही समूह अगली तेजी का अगुवाई नहीं करता। लंबी अवधि के निवेश लायक क्षेत्रों, जैसे तेल-गैस, बुनियादी ढांचा, खनिज और सुरक्षा-प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करें। बाजार में उचित कीमत को ठीक से परखें।
निवेश का योजनाबद्ध तरीका अपनायें। एक बार में सारी पूँजी का निवेश न कर दें। आने वाले 18 महीनों में आपको कई बार गिरावट के दौर में सस्ते दामों पर खरीदारी के मौके मिलेंगे। नये और कम अनुभव वाले निवेशकों के लिए बेहतर यह है कि वे बाजार में निवेश का सही वक्त पहचानने की कोशिश के बजाय एसआईपी को चुनें।
Add comment