भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि बैंक खातों को आधार (Aadhaar) संख्या से जोड़ना अनिवार्य है, लेकिन इसमें एक शर्त भी जुड़ी है।
इस स्पष्टीकरण के मुताबिक 1 जून 2017 को आधिकारिक राजपत्र (गजट) में प्रकाशित प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग (मेंटेनेंस ऑफ रिकॉर्ड्स) सेकेंड अमेंडमेंट्स रूल्स 2017 के तहत जिन मामलों में लागू होता हो, उनमें ऐसा करना अनिवार्य है। अब सवाल यह उठता है कि यह किन मामलों में लागू होता है?
इस साल जून में प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग (मेंटेनेंस ऑफ रिकॉर्ड्स) रूल्स, 2005 में संशोधन किया गया था, जिसे द्वितीय संशोधन कहा गया है। इस संशोधन के अनुसार अधिकतम 50,000 रुपये तक जमा की सीमा वाले छोटे खातों को छोड़ कर बाकी किसी भी व्यक्तिगत या कंपनी या फर्म के खाते खोलने के लिए जून 2017 से आधार संख्या आवश्यक कर दी गयी है। वहीं पहले से चल रहे खातों को आधार संख्या से जोड़ने के लिए 31 दिसंबर 2017 तक की समय-सीमा रखी गयी है। आरबीआई ने आज अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि ये नियम वैधानिक शक्ति रखते हैं और सभी बैंकों को इन्हें लागू करना होगा।
हालाँकि एक हफ्ते पहले ही 14 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय में एक नयी जनहित याचिका दायर करके सरकार के इस निर्णय को चुनौती दी गयी है कि सभी बैंक खातों और मोबाइल फोन को आधार संख्या से जोड़ना अनिवार्य होगा।
(शेयर मंथन, 21 अक्टूबर 2017)
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