अरविंद पृथी
संस्थापक, एंडरसन कैपिटल एडवाइजर्स
यह साल शेयर बाजार के लिए मुश्किलों भरा रहने वाला है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें भारतीय बाजार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। आने वाले चुनावी नतीजे भाजपा के विरुद्ध रहने पर इसका भी शेयर बाजार पर काफी नकारात्मक असर होगा। साथ ही जीएसटी लागू होने में विलंब अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए एक कदम पीछे हटने की तरह होगा। सेंसेक्स छह महीने में 28,900 तक और साल भर में 31,000 त जा सकता है।
नोटबंदी के बाद अगर सुधारों को लागू किया जाता है और सोने एवं रियल एस्टेट में बेनामी निवेशों पर अंकुश लगा कर नोटबंदी के उद्देश्यों को तार्किक निष्कर्ष तक पहुँचाया जाता है, तो यह सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू बन सकता है। बहरहाल, यह कदम अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए लंबी अवधि में सकारात्मक है। इसके चलते असंगठित क्षेत्र कुछ हद तक संगठित क्षेत्र में आ जायेगा, जिससे जीडीपी में आने वाली गिरावट सीमित होगी। मगर समानांतर असंगठित अर्थव्यवस्था को चोट लगेगी, जिससे तात्कालिक रूप से उपभोग की कहानी पर असर होगा। (शेयर मंथन, 04 जनवरी 2017)