राजेश अग्रवाल
रिसर्च प्रमुख, एयूएम कैपिटल मार्केट
नोटबंदी के बाद उपभोग क्षेत्र के कुछ बेहतरीन शेयरों की कीमतों में तकरीबन 25-30% की गिरावट आयी है।
हमारा मानना है कि अगली दो तिमाहियों के लिए मंदी या आँकड़ों में संभावित कमी इनके भावों में शामिल हो चुकी है। नतीजों के खराब आने की स्थिति में चुनिंदा शेयरों में नतीजे के दिन कमजोरी आ सकती है, लेकिन इस मौके को बेहतरीन शेयरों को चुनने के मौके के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। आगे जिन अहम बातों पर नजर रहेगी, उनमें शामिल हैं डॉलर, अमेरिका में नये राष्ट्रपति की नीतियाँ, कच्चा तेल आदि। तिमाही नतीजों और बजट की उम्मीदों से नये साल के पहले 30 दिनों के दौरान बाजार का रुझान तय होगा।
अभी मुख्यतः नोटबंदी के प्रभाव, डॉलर की चाल, कच्चा तेल, अमेरिका में ब्याज दरें और सरकारी बैंकों के डूबे कर्ज को लेकर चिंताएँ हैं। वहीं निचली महँगाई दर, कमोडिटी की कम कीमतें, कम ब्याज दरों का दौर और बुनियादी ढाँचे के विकास पर सरकार का ध्यान सकारात्मक पहलू हैं।
मुझे लगता है कि छह महीने में सेंसेक्स को 27,500 पर और निफ्टी को 8,350 पर होना चाहिए। वहीं साल भर का लक्ष्य सेंसेक्स के लिए 29,000 और निफ्टी के लिए 8,800 का लगता है। निफ्टी का इस साल का दायरा ऊपर 9,100 और नीचे 7,200 के बीच रह सकता है। इस साल आईटी, कृषि आधारित उद्योग, बिजली और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। वहीं रियल एस्टेट, रत्न-आभूषण और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहने की संभावना है। इस साल के लिए मेरे पाँच चुनिंदा शेयर एनबीसीसी, बीईएल, फोर्स मोटर्स, आईडीएफसी बैंक और शिल्पा मेडिकेयर हैं।
लंबी अवधि के लिहाज से देखा जाये तो परिदृश्य बेहतर लग रहा है, क्योंकि नोटबंदी की वजह से काफी सारा पैसा बैंकों में आया है। यह पैसा निवेश को गति देगा और साथ ही कर का आधार बढ़ायेगा। हाथ में अधिक पैसे होने की वजह से सरकार बुनियादी ढाँचे पर खर्च अधिक करने की स्थिति में होगी। हम सावधानी के साथ आशावाद का नजरिया अपना रहे हैं और मानते हैं कि वक्त के साथ चीजों में सुधार होने लगेगा। (शेयर मंथन, 04 जनवरी 2017)